मध्य प्रदेश में अब मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी नज़र, शिवराज कैबिनेट में फिलहाल 5 मंत्रियों की जगह खाली

MP Cabinet Expansion: कई वरिष्ठ बीजेपी विधायकों को मंत्री बनने की हसरत, गिरीश गौतम ने कैबिनेट में विंध्य के प्रतिनिधित्व का छेड़ा राग

Updated: Nov 11, 2020, 09:02 PM IST

Photo Courtesy: Samvad Janta Ka
Photo Courtesy: Samvad Janta Ka

भोपाल। उपचुनाव में बीजेपी की जीत के बाद अब शिवराज सरकार पूर्ण बहुमत वाली सरकार बन गई है। अब लोगों की नजर कैबिनेट विस्तार पर हैं। पहले ही बीजेपी के दिग्गज नेता अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक चुके हैं। जिनमें जबलपुर से अजय विश्नोई पिछले विस्तार में ही मंत्रिपद की रेस में पिछड़ने से नाराज चल रहे थे। वे अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। वहीं अब मंत्रिमंडल में विंध्य क्षेत्र को प्रतिनिधित्व दिए जाने का मुद्दा भी उठने लगा है।

रीवा के देवतालाब से विधायक गिरीश गौतम का बयान सुर्खियां बटोर रहा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मंत्रिमंडल में विंध्य को तवज्जो मिलनी चाहिए। उन्होंने ये उम्मीद भी जाहिर की है कि पार्टी इस पर विचार करेगी। आपको बता दें कि विंध्य क्षेत्र से फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में कोई मंत्री नहीं है। जबकि बीजेपी के पिछले कार्यकाल में राजेंद्र शुक्ल को जगह मिली थी। सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने की वजह से बीजेपी के सीनियर नेताओं को सत्ता की जगह संगठन की जिम्मेदारी देकर शांत कराया गया था। गौरतलब है कि गिरीश गौतम भी बीजेपी के सीनियर नेता हैं और मंत्री बनने की बाट जोह रहे हैं।

उपचुनाव में बीजेपी की जीत के बाद भी शिवराज सरकार के तीन मंत्री हार चुके हैं। वहीं तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को भी चुनाव के पहले मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे में शिवराज मंत्रिमंडल में अब पांच और मंत्रियों को जगह मिल सकती है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 19 नेताओं में से 13 उपचुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं। बीजेपी सरकार के जिन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है, उनमें मंत्री इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एदल सिंह कंसाना शामिल हैं। इनके अलावा जसवंत जाटव, रणवीर जाटव, रघुराज कंसाना और मुन्नालाल गोयल को भी हार का स्वाद चखना पड़ा है। प्रदेश में हुए राजनीतिक ड्रामे के बाद उपचुनाव में बीजेपी ने 28 सीटों में से 19 सीटें अपने नाम कर ली है। अब बीजेपी विधायकों की संख्या 107 से बढ़कर 126 हो गई है। जबकि कांग्रेस को केवल 9 सीटों पर जीत से संतोष करना पड़ा है।