Maharashtra Scam: देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में महाराष्ट्र में हुआ व्यापम जैसा घोटाला

अभ्यर्थियों की जगह दूसरे लोगों ने दी परीक्षा, चयनित परीक्षार्थियों की फोटो और हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे, परीक्षा कराने के लिए ठेका प्रक्रिया में भी हुई गड़बड़ी

Updated: Oct 26, 2020, 07:00 PM IST

Photo Courtesy: New Indian Express
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अहमदनगर। महाराष्ट्र में व्यापम जैसा एक घोटाला सामने आया है, जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में शुरू हुआ। इस घोटाले का पता अहमदनगर जिले के जिलाधिकारी राहुल द्विवेदी ने लगाया है। यह घोटाला 'महा परीक्षा पोर्टल' द्वारा 'सी' ग्रेड के राजस्व अधिकारियों के चयन के लिए कराई गई परीक्षा से जुड़ा है। इस परीक्षा में जो अभ्यर्थी सफल हुए हैं, उन्हें परीक्षा की तारीख और समय तक नहीं पता है। फिर भी उनमें से कइयों ने बहुत उच्च अंक हासिल किए हैं। जिलाधिकारी द्वारा जांच करने पर सामने आया है कि जो अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, एडमिट कार्ड पर उनकी फोटो और हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे हैं। घोटाला केवल अहमदनगर जिले तक सीमित नहीं है। 

पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के 36 में से 34 जिलों में ये परीक्षाएं कराई गई थीं। परिणाम के बाद कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा में गड़बड़ियों की शिकायत भी की। हालांकि, अहमदनगर को छोड़कर दूसरे जिलों में भर्ती प्रक्रिया जारी है। दूसरी तरफ विरोध जताने वाले छात्रों को जान से मारने की धमकी भी मिल रही है। कई जिलों में चयनित अभ्यर्थियों ने कामकाज भी संभाल लिया है। हालांकि, पिछले महीने द्विवेदी का ट्रांसफर किया जा चुका है और महाराष्ट्र आईटी विभाग ने उनके द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के संबंध में जांच भी रोक दी है। बताया जा रहा है कि जल्द ही अहमदनगर में भी भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

दरअसल, देंवेंद्र फणडवीस की सरकार ने 2017 में मनमाने तरीके से 'महा ऑनलाइन पोर्टल' को बंद कर दिया था और उसकी जगह 'महा परीक्षा पोर्टल' का गठन किया। इस पोर्टल को देखने की पूरी जिम्मेदारी कौस्तभ धवसे के पास थी। फडणवीस ने उन्हें संयुक्त सचिव का दर्जा दिया था। इस पोर्टल को देखने वाले सारे अधिकारी आईएस स्तर के थे, सिर्फ धवसे को छोड़कर। धवसे एचपी, फॉर्स्ट एंड सुविलियन और इस तरह की दूसरी कंपनियों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 

महाराष्ट्र के आईटी विभाग ने 2017 में एक ठेका निकाला था, जिसे अमेरिका की यूएसटी ग्लोबल और भारत की अरसेस इन्फोटेक कंपनी ने संयुक्त रूप से जीता था। इन कंपनियों पर ऑनलाइन परीक्षा कराने की जिम्मेदारी थी। इन परीक्षाओं में उम्मीद से कहीं अधिक अभ्यर्थी बैठे और उनसे फीस भी अधिक ली गई। सी ग्रेड के तहत 25,000 पदों पर नियुक्ति होनी थी और करीब 35 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। बताया जा रहा है कि बढ़ी हुई फीस का फायदा यूएसटी ग्लोबल कंपनी को दिया गया।

इस साल मई में जब अहमदनगर के जिलाधिकारी चयनित अभ्यर्थियों की जानकारी इकट्ठा कर रहे थे तो उन्हें बहुत सारी जानकारियां संदेह से भरी लगीं। उन्होंने महाराष्ट्र आईटी विभाग से अभ्यर्थियों की सीसीटीवी फुटेज मांगी। हालांकि, विभाग ने उन्हें सीसीटीवी फुटेज नहीं दी। जोर डालने पर 14 अभ्यर्थियों की सीसीटीवी फुटेज जिलाधिकारी को मिली। सीसीटीवी फुटेज में जिलाधिकारी ने पाया कि चयनित हुए अभ्यर्थी की जगह अलग-अलग लोगों ने परीक्षा दी है। ना ही इनके फोटो मिल रहे हैं और ना ही हस्ताक्षर। दूसरी तरफ परीक्षा कराने वाली कंपनी यूएसटी ग्लोबल को इसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आया। 

मीडिया संस्थान द वायर ने जब इस संबंध में राहुल द्विवेदी से बात की तो उन्होंने कहा कि वे अपना काम कर चुके हैं और आगे की जिम्मेदारी विभाग की है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र आईटी विभाग ने भी माना है कि कुछ गड़बड़ियां हुई हैं, लेकिन इसके आधार पर पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए भर्ती रोक देना सही नहीं है। वहीं यूएसटी ग्लोबल की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। 

अहमदनगर के अलावा दूसरे जिलों में भी इस तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। उदाहरण के लिए गोंडिया जिले में महाराष्ट्र बोर्ड के पांच टॉपरों ने परीक्षा में 194 अंक हासिल किए हैं। चौकाने वाली बात यह है कि सभी ने एक ही जैसे प्रश्नों के उत्तर गलत दिए और गलत विकल्प भी समान ही चुना। अधिकारियों का कहना है कि 200 में से 194 अंक हासिल करना लगभग असंभव है क्योंकि प्रश्न काफी मुश्किल थे और दो घंटे में 200 प्रश्न करने थे। कई जिलों में यह भी सामने आया है कि उन परीक्षार्थियों ने भी परीक्षा में हिस्सा लिया, जो महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा प्रतिबंधित किए जा चुके हैं। इन परीक्षार्थियों ने भी उच्च अंक हासिल किए हैं। 

दूसरी तरफ कैग ने अपनी रिपोर्ट में यूएसटी ग्लोबल को ठेका दिए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। कैग ने पाया है कि ठेका प्रक्रिया में यूएसटी ग्लोबल को दूसरी कंपनियों के ऊपर प्राथमिकता दी गई। कैग ने बताया कि दूसरी कंपनियां यूएसटी ग्लोबल के मुकाबले ज्यादा योग्य थीं, लेकिन फिर भी उन्हें ठेका नहीं मिला। फिलहाल इन गड़बड़ियों को लेकर बहुत सारे अभ्यर्थी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, वर्तमान राज्य सरकार इस ओर कोई खास ध्यान नहीं दे रही है।