ब्लैक और व्हाइट फंगस के आतंक के बीच अब येलो फंगस की एंट्री, गाजियाबाद में आया पहला मामला

एक्सपर्ट्स के मुताबिक येलो फंगस ब्लैक और व्हाइट फंगस से भी ज्यादा खतरनाक होता है, यह मरीज को अंदर ही अंदर कमजोर करता है और स्थिति बेहद खराब हो जाती है

Updated: May 24, 2021, 10:54 AM IST

Photo Courtesy: financial express
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर देश में तरह-तरह की नई बीमारियां लेकर आई है। ब्लैक और व्हाइट फंगस से जूझ रहे भारत में अब येलो यानी पीले फंगल इंफेक्शन ने अटैक कर दिया है। येलो फंगल इंफेक्शन का पहला मामला गाजियाबाद में देखने को मिला है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह फंगस पहले वाले दोनों फंगल इंफेक्शन से भी ज्यादा खतरनाक है।

जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद में जिस मरीज को येलो फंगस ने अपनी चपेट में लिया है उसकी उम्र सिर्फ 34 वर्ष है। वह कोरोना संक्रमण से उबर चुका है और वह डाइबिटीज का मरीज है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक येलो फंगस ब्लैक और व्हाइट फंगस से भी ज्यादा घातक साबित हो सकता है। यह फंगस मरीज को अंदर ही अंदर बेहद कमजोर कर देता है। इसमें मरीज को सुस्ती लगना, भूख कम लगने या बिल्कुल न लगने की शिकायत होती है। फंगस का इंफेक्शन शरीर में जैसे-जैसे बढ़ता जाता है मरीज का वजन भी तेजी से कम होने लगता है।

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येलो फंगस पीड़ित को यदि कोई घाव है तो उसमें मवाद का रिसाव होने लगता है और जख्म बेहद धीमी गति से ठीक होता है। इस फंगस से पीड़ित व्यक्ति की आंखें धंस जाती है और कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को येलो फंगस के लक्षण दिख रहे हों तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए। इस घातक इंफेक्शन का एकमात्र इलाज एंटीफंगल इंजेक्शन Amphoteracin B है।

गंदगी के कारण फैलता है यह फंगस

येलो फंगस को लेकर अबतक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक यह बीमारी गंदगी की वजह से फैलता है। अपने आस-पास साफ-सफाई रखकर ही इस खतरनाक फंगस से बचा जा सकता है। ऐसे में कोरोना संक्रमितों या उससे ठीक होकर आए लोगों को अपने आस पास स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। साथ ही पुराने खाद्य पदार्थों को अपने नजदीक न रखने की सलाह दी जाती है।