Freedom of Expression: निजी मेसेज मीडिया में चलाना न्याय के लिए खतरनाक है, सुप्रीम कोर्ट में सरकार का बयान

Gov in Supreme Court: केंद्र सरकार ने कहा अभिव्यक्ति की आजादी और कोर्ट की अवमानना के बीच संतुलन जरूरी है, सीजेआई पहले ही अभिव्यक्ति की आजादी के दुरुपयोग की बात कह चुके हैं

Updated: Oct 15, 2020, 03:18 PM IST

Photo Courtesy: India Today
Photo Courtesy: India Today

नई दिल्ली। सुशांत सिंह मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि आरोपियों के निजी मेसेज को मीडिया में चलाना न्याय प्रक्रिया के लिए खतरनाक है। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और न्यायालय की अवमानना के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी से भटक रही है और उस क्षेत्र में दखल कर रही है, जिसके ऊपर उसका अधिकार नहीं है 

दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के ऊपर एक दशक पहले लगे कोर्ट की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। तहलका को दिए गए एक इंटरव्यू में भूषण ने कहा था कि न्यायपालिका में मौजूद आधे से अधिक जज भ्रष्ट हैं। केके वेणुगोपाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी आज सीमा पार कर चुकी है। पिछले दिनों सीजेआई एसए बोबडे ने कहा था कि हाल के समय में अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया अधिकार हो सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच से केके वेणुगोपाल ने कहा कि आरोपी ने अपनी जमानत याचिका डाली हुई है और ऐसे में मीडिया उसके निजी व्हाट्सएप चैट को दुनिया को दिखा रहे हैं, यह न्याय प्रक्रिया के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि यह आरोपी के अधिकारों के भी खिलाफ है। 

और पढ़ेंSupreme Court: तबलीगी जमात मामले में मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, अदालत ने कहा सरकार का रवैया मामले को टालने वाला

केके वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि जब भी कोई बड़ा मामला विचाराधीन होता है तो मीडिया में बड़े बड़े आलेख लिखे जाते हैं। ये आलेख कोर्ट के हिदायत देते हैं। लेखक यह भी बताते हैं कि किस तरह का निर्णय जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा। इन मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है।