10वीं तक स्कूलों में नाटक, नृत्य की पढ़ाई होगी अनिवार्य, संसदीय समिति ने कला विषय शामिल करने की सिफारिश की

औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति की जरूरत पर संसदीय समिति ने दिया बल, छात्रों को 10वीं क्लास तक स्कूलों में परफॉर्मिंग आर्ट्स के सब्जेक्ट पढ़ाने के सिफारिश की

Updated: Feb 16, 2022, 06:34 AM IST

Photo Courtesy: Diksha school
Photo Courtesy: Diksha school

दिल्ली। देश के स्कूलों में छात्रों को स्थानीय लोककला, नृत्य, गायन, चित्रकारी, नाटक और पारंपरिक कला की शिक्षा मिलेगी। 10वीं क्लास तक के छात्रों को कला की शिक्षा अनिवार्य करने की सिफारिश संसद की एक स्थाई समिति ने सदन में की है। इसकी मुख्य उद्देश्य छात्रों को देश की कला संस्कृति से परिचय करवाना और बच्चों को गुलामी मानसिकता से मुक्ति दिलाने वाली शिक्षा देना है। संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि बच्चों को विजुअल आर्ट्स, नुक्कड नाटक, पेंटिंग्स, लोकनृत्य, लोक गायन सिखाया जाए।

इस संसदीय समिति के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे हैं। यह शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल मामलों की संसदीय स्थायी समिति है। इस संसदीय समिति ने परफार्मिंग और फाइन आर्ट की शिक्षा में सुधार पर बल दिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, आर्ट एजुकेशन को 10वीं कक्षा तक अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कला को शिक्षा के साथ जोड़ने पर जोर दिया गया था। इसके लिए हर स्कूल में इसके लिए बुनियादी ढांचा और सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। 

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संसद में यह रिपोर्ट 7 फरवरी को पेश की गई थी, जिसमें लोक कथाओं, कहानियों, नाटकों, चित्रों के रूप में स्थानीय परंपराओं को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की पढ़ाई में रुचि जगाना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कला शिक्षा लेकर जिस तरह की औपनिवेशिक सोच कायम है, उसे दूर करने के लिए आमूल-चूल बदलावों की जरूरत है। इसके लिए एक मजबूत नीतिगत ढांचा विकसित किया जाना चाहिए।

संसदीय समिति ने कला शिक्षा का सिलेबस तैयार करने पर काम करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद NCERT राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद SCERT के साथ-साथ देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कला विभागों के साथ विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया है।

वहीं देश में उच्च शिक्षा के बारे में सरकार को सुझाव देते हुए समिति ने कहा है कि ‘राष्ट्रीय कला विश्वविद्यालय’ या एक केंद्रीय कला विश्वविद्यालय स्थापित करने की संभावना तलाशनी चाहिए। समिति ने कला शिक्षा मे अग्रणी भूमिका निभाने वाले मौजूदा संस्थानों जैसे भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTTI), पुणे, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD), नई दिल्ली, अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय, मुंबई, और सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई जैसे संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों का दर्जा देने पर विचार करने को कहा है।