कोरोना की चपेट में बैंक कर्मचारी, अब तक एक हजार की मौत और एक लाख कोरोना संक्रमित

देश में लगभग 14 महीने से चल रहे कोरोना ने अब तक 1 लाख बैंकिंग कर्मचारियों को अपनी चपेट में लिया है.. जबकि 1 हजार से अधिक कर्मचारी इस दौरान संक्रमण के शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं।

Updated: May 17, 2021, 12:34 PM IST

Photo courtesy: Reuters
Photo courtesy: Reuters

दिल्ली।  देश में कोरोना की दूसरी लहर बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए घातक साबित हुई है। भारतीय बैंकों ने 1 हजार से अधिक कर्मचारियों को खो दिया है वहीं, उससे कहीं ज्यादा संख्या में कर्मचारी कोरोना की चपेट में आज भी मौत से जूझ रहे हैं। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सेकरेट्री एस नागारंजन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि पिछले एक साल से अधिक समय से चल रहे इस कोरोना काल में अब तक 1 हजार बैंक कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इससे कई राज्यों में बैंक की शाखाओं को बंद करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि, “बैंक कर्मचारी फ्रंट लाइन वर्कर है और कोरोना उसे सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है।”  आंकड़ों के मुताबिक, अब तक देश में 1 लाख कर्मचारी कोरोना वायरस की चपेट में हैं तो वहीं 1 हजार बैंक कर्मचारी अपनी जान गवां चुके हैं।

ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज एसोसिएशन के महासचिव सी.एच वेंकटचलम ने कहा, देश में करीब 15 लाख बैंकिंग कर्मचारी हैं जिसमें से अब तक एक लाख कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात में 15 हजार बैंक कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हैं, तो वहीं 30 की मौत हो चुकी है। वहीं,  इसी तरह मध्य प्रदेश में 3,672 कर्मचारी कोरोना से पॉजिटिव हैं। 46 की मौत हो चुकी है। गुजरात और मध्य प्रदेश में इस वजह से कई बैंकों की शाखाओं को बंद करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बैंकों की सबसे ज्यादा शाखाएं हैं। उनके मुताबिक यहां पर सबसे ज्यादा बैंक कर्मचारी कोरोना से पॉजिटिव हैं। लेक़िन इन राज्यों में कितने कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हैं। कितनों की मौत हुई है ये जानकारी अभी साफ नही हुई है।

देश में निजी क्षेत्र में दूसरे सबसे बड़े बैंक ICICI बैंक के कार्यकारी निदेशक अनूप बागची का कहना है कि पिछले साल का कोरोना का अनुभव बैंकिंग सेक्टर में खराब रहा है। इसलिए प्रायोरिटी के तौर पर बैंकिंग कर्मचारियों को वैक्सीन पहले देना चाहिए था। क्योंकि वे भी जरूरी सेवाओं के दायरे में आते हैं। यदि बैंकिंग सेवाएं फेल होती हैं तो यह अर्थव्यवस्था की गतिविधियों पर बुरा प्रभाव डालेंगी।