पटना हाईकोर्ट से बिहार सरकार को बड़ा झटका, जातिगत समीकरण पर लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट में भी जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

Updated: May 04, 2023, 04:09 PM IST

पटना। बिहार की नीतीश सरकार को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने बिहार में हो रही जातिगत जनगणना पर अंतरिम रोक लगा दी है।
मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव ने जातिगत गणना पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक पर कहा कि हमारी सरकार जातिगत गणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हम राज्‍य में अंतिम पायदान पर खड़े व्‍यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ये सर्वे कर रहे हैं। हम अपनी कोशिश जारी रखेंगे। वहीं सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है। इसी के आधार पर भविष्‍य में लोककल्‍याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू जातिगत गणना कराने के पक्ष में रही है। नीतीश सरकार 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है। तब आरजेडी विपक्ष में थी, बावजूद लालू यादव की पार्टी ने भी जातिगत जनगणना का समर्थन किया था।

बिहार में फिलहाल दूसरे चरण के लिए जनगणना का काम चल रहा था। लेकिन अचानक हाईकोर्ट द्वारा रोक लगा दिया गया। उधर, पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है? जातीय गणना कराना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं? इस गणना का उद्देश्य क्या है? क्या इसे लेकर कोई कानून भी बनाया गया है? 

हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को पटना में जातिगत जनगणना को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित जनगणना सब लोगों के राय से तय हुआ है।यह सबके हित के लिए हो रहा है. लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा इसका विरोध क्यों हो रहा है। इसका मतलब लोगों को मौलिक चीजों की समझ नहीं है। ये पहले अंग्रेज़ों के जमाने से तो होता ही था, ये 1931 से बंद हुआ।