चीतों को भोजन में हिरण परोसने पर भड़का विश्नोई समाज, भाजपा नेता ने भी जताई नाराजगी

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर इस बात पर नाराजगी जताई है कि मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए 8 चीतों की भूख मिटाने के लिए राजगढ़ के जंगल से 181 चीतल श्योपुर भेजे गए हैं।

Updated: Nov 12, 2022, 03:02 AM IST

फतेहाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश  कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से मंगाए चीतों को छोड़ने पर विवाद खड़ा हो गया है। जानवरों की सुरक्षा के लिए सदैव आगे रहने वाले विश्नोई समाज ने चीतों को भोजन में चीतल और हिरण परोसे जाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 

इतना ही नहीं हिरण और चीतलों की सुरक्षा की चिंता व्यक्त करते हुए बिश्नोई समाज के लोगों ने हरियाणा के फतेहाबाद में जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन शुमामले को लेकर बिश्नोई समाज के लोगों ने हरियाणा के फतेहाबाद में जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बिश्नोई समाज ने हिरणों को बचाने के लिये हमेशा योगदान दिया है। हम उनकी जान को इस तरह खतरे में नहीं डाल सकते।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि यह निर्णय सरासर गलत है। पीएम मोदी यह निर्णय वापस लें। प्रधानमंत्री इस प्रकार हिरणों की जान नहीं ले सकते। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में विश्नोई समाज भाजपा का बहिष्कार करेगा। 

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर इस बात पर नाराजगी जताई है। बूड़िया ने इस पत्र में लिखा है कि भारत सरकार ने अपने नेतृत्व में नामीबिया से लाकर 8 चीतों को हिंदुस्तान के वनों में विलुप्त प्रजाति को पुनर्स्थापित करने के लिए छोड़ा है। लेकिन उनके भोजन को तौर पर चीतल, हिरण इत्यादि पशुओं को जंगल में छोड़ने से बिश्नाई समाज बहुत आहत है। हमारी भावनाएं आहत हुई।

बिश्नोई समाज के लोगों ने भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। कुलदीप बिश्नोई ने भी इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'चीतों के भोजन हेतु चीतल व हिरण भेजने की सूचनाएं आ रही हैं, जो अति निंदनीय है। मेरा केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि राजस्थानमें विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे हिरणों की प्रजाति और बिश्नोई समाज की भावनाओं को देखते हुए इस मामले की जांच करवाई जाए और अगर ऐसा है तो तुरंत इस पर रोक लगाई जाए।'