Digvijaya Singh: साझा संसदीय समिति बनाकर किसानों से चर्चा करे सरकार
दिग्विजय सिंह ने कहा, मोदी जी अपनी ज़िद छोड़ें, किसान विरोधी क़ानून वापस लें, भागवत जी और उनका किसान संगठन भारत बंद का समर्थन करे
भोपाल/इंदौर। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकार को एक साझा संसदीय समिति (JPC) गठन करना चाहिए। यह साझा समिति किसानों से चर्चा करके उनके हित में कानून बनाने का रास्ता साफ करेगी। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से अपनी ज़िद छोड़कर किसान विरोधी नए कृषि कानूनों को फौरन वापस लेने की मांग भी की है। आपको बता दें कि साझा संसदीय समिति का मतलब होता है एक ऐसी कमेटी जिसमें सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, विपक्ष के सांसद भी शामिल हों।
दिग्विजय सिंह ने आज किसानों के भारत बंद का खुला समर्थन करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी किसानों का साथ देने की अपील की है। उन्होंने भागवत से पूछा है कि वे और उनका किसान संगठन भारतीय किसान संघ किस ओर खड़ा है?
मोदी जी अपनी ज़िद छोड़ कर तीनों किसान विरोधी क़ानून वापस लीजिए। संसद की Joint Parliamentary Committee गठित कर किसान संगठनों से चर्चा करें और उनके हित में क़ानून बनाए।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) December 8, 2020
मोहन भागवत जी आप कहॉं हैं? आपका भारतीय किसान संघ कहॉं है? कृपया भारत बंद में सहयोग करें। #8_दिसम्बर_भारत_बन्द
दिग्विजय सिंह ने आज भी लोगों से भारत बंद का समर्थन करने की अपील की है। उन्होंने लोगों से कहा है, "किसान मेहनत कर हमारा पेट भरता है। इसीलिए उसे अन्नदाता कहते हैं।पहली बार हमसे आज केवल सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक का समय माँग रहा है। क्या आप उनके लिए इतना भी नहीं कर पाएँगे? आज भारत बंद में उनका सहयोग करें।"
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— digvijaya singh (@digvijaya_28) December 8, 2020
किसान मेहनत कर हमारा पेट भरता है। इसीलिए उसे अन्नदाता कहते हैं।पहली बार हमसे आज केवल सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक का समय माँग रहा है। क्या आप उनके लिए इतना भी नहीं कर पाएँगे? आज भारत बंद में उनका सहयोग करें। #8दिसम्बर_भारत_बंद
ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह शोषण का रास्ता खोल रही सरकार : दिग्विजय सिंह
इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को इंदौर में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा था कि जिस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी चम्पारण में नील की खेती के जरिए किसानों का शोषण किया करती थी, उसी प्रकार के शोषण का रास्ता मोदी सरकार के लाए नए कृषि कानूनों ने खोल दिया है।
बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर अब तक सरकार और किसानों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है। 9 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत होनी है लेकिन उससे पहले किसानों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। देश की ज़्यादातर विपक्षी पार्टियों का किसानों के इस भारत बंद में समर्थन मिल रहा है।