केंद्र का राज्यों को निर्देश, ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करें और अभी केस रिपोर्ट करें

देशभर में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के कहर को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि इसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1987 के तहत अधिसूचित करें

Updated: May 20, 2021, 11:33 AM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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नई दिल्ली। भारत में जानलेवा फंगल इंफेक्शन म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। ब्लैक फंगल इंफेक्शन से बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे महामारी घोषित करने का निर्देश दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज राज्यों से आग्रह किया है कि वे इसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1987 के तहत अधिसूचित करें। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे सभी मामलों को रिपोर्ट करें।

स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने इस संबंध ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि, 'सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, निजी स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेजों को ब्‍लैक फंगस के स्‍क्रीनिंग, डायग्‍नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के गाइडलाइंस का पालन करना होगा। साथ ही ब्लैक फंगल इंफेक्शन के सभी कंफर्म केस और संदिग्ध मामलों की सूचना केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी।

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केंद्र सरकार के इस आदेश के पहले ही राजस्थान और तेलंगाना सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट के तहत अधिसूचित कर दिया है। तमिलनाडु ने भी अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत इस बीमारी को अधिसूचित किया है। जबकि तमिलनाडु में इसके अबतक 9 मामले ही दर्ज किए गए हैं। उधर, दिल्ली सरकार ने कहा है कि एलएनजेपी, आरजीएसएसएच और जीटीबी अस्पताल में ब्लैक फंगल इंफेक्शन से पीड़ितों के लिए विशिष्ट केंद्र स्थापित करेंगे।

गौरतलब है कि देश में ब्लैक फंगस विकराल रूप लेता जा रहा है। अकेले महाराष्ट्र में इस फंगल इंफेक्शन के दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इस जानलेवा वायरस के चपेट में आकर करीब 90 लोगों की मौत भी हो चुकी है। मध्यप्रदेश में भी इस फंगस ने कहर बरपाया है। राज्य में अबतक साढ़े पांच सौ से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं वहीं मृतकों की संख्या भी 30 से ज्यादा है। इन सब के बीच चिंता की बात ये है कि इसके इलाज में उपयोग किए जाने वाले एंटी फंगल दवा की देश भर में भारी किल्लत है।

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ब्लैक फंगस को पोस्ट कोरोना इफेक्ट कहा जा रहा है। चूंकि, कोविड-19 से ठीक होने वालों में ही यह फंगल इंफेक्शन देखा जा रहा है। हालांकि, यह कोई नई बीमारी नहीं है, बावजूद कोरोना वायरस के आने के बाद इस फंगल इंफेक्शन ने पांव पसारना शुरू किया है। डॉक्टरों के मुताबिक यह इंफेक्शन छुआ-छूत की बीमारी नहीं है। यह इंफेक्शन ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखा जाता है जो डायबिटीज, किडनी या ह्रदय रोग से पीड़ित होते हैं। अथवा जिन्होंने कोई अंग ट्रांसप्लांट कराया हो या फिर कोविड-19 इलाज के दौरान स्टेरॉयड दवा लिया हो।

यह फंगल इंफेक्शन इतना खतरनाक है कि इससे आखों की रोशनी जाने अथवा नाक और जबड़े की हड्डी गलने का खतरा होता है। यह इंफेक्शन यदि दिमाग तक चढ़ जाए तो मरीजों के बचने की चांस नहीं होती है। आंखों तक संक्रमण पहुंचने की स्थिति में आंखें निकालनी पड़ती है। देशभर में अधिकांश केस में यही देखा जा रहा है कि मरीजों को जीवित बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ रही है।