कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत, असम और यूपी पुलिस को नोटिस जारी

पवन खेड़ा की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि जो पवन खेड़ा ने कहा वो नहीं कहना चाहिए था, मैं ये मानता हूं। उन्होंने खुद माना कि जुबां फिसल गई थी। उन्होंने माफी भी मांगी थी।

Updated: Feb 23, 2023, 10:52 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेस प्रवक्ता को अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने द्वारका कोर्ट को पवन खेड़ा को मंगलवार तक अंतरिम जमानत देने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने सभी एफआईआर के क्लब करने को लेकर नोटिस भी जारी कर दिया है। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अब पुलिस उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर असम नहीं ले जा सकेगी।

CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने इस मामले में आज 3 बजे सुनवाई शुरू की और करीब 35 मिनट की सुनवाई के बाद पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने असम और यूपी सरकार को भी नोटिस जारी किया और तीन जगह दर्ज केस को एक ही ज्यूरिडिक्शन में लाने को लेकर नोटिस भेजा है। 

पवन खेड़ा की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "पवन खेड़ा को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए। जो पवन खेड़ा ने कहा वो नहीं कहना चाहिए था, मैं ये मानता हूं उन्होंने खुद माना कि जुबान फिसल गई थी। उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी थी। उनको रिहा करने के आदेश दिए जाएं। अदालत उनको संरक्षण दे। देश में किसी भी राजनीतिक बयानबाजी पर ये गंभीर केस नहीं लगाए जा सकते। ये अभिव्‍यक्ति की आजादी का हनन है। गिरफ्तारी में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। खेड़ा ने जो अपराध किया है उसमें 3 और 5 साल की ही अधिकतम सजा है।"

सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं, ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें। इस स्टेज पर हम एफआईआर रद्द नहीं कर सकते।" न्यायालय में इस दौरान प्रधानमंत्री पर खेड़ा द्वारा दिया गया बयान भी सुनाया गया। इस पर सीजेआई ने पूछा कि ये सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला कैसे है? 

दरअसल, 20 फरवरी को पवन खेड़ा दिल्ली में पत्रकारों से बात कर रहे थे। हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर उन्होंने कहा था, 'जब अटल बिहारी बाजपेयी JPC बना सकते हैं तो नरेंद्र गौतमदास मोदी को क्या समस्या है।' अपने बयान में उन्होंने नरेंद्र दामोदरदास मोदी को गौतमदास मोदी कहा था। इसके बाद उन्होंने आसपास खड़े लोगों से पूछा गौतम दास है या दामोदरदास। इसके बाद उन्होंने कहा कि नाम भले ही दामोदर दास है। उनका काम गौतमदास का है। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी थी प्रधानमंत्री के नाम को लेकर उन्हें कन्फ्यूजन था। बताया जा रहा है कि गलत नाम लेने को लेकर ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।