Cyber Crime: TikTok, Instagram, YouTube से 23 करोड़ यूजर्स का डाटा लीक

Data Leak: बेची जा रही हैं यूजर्स का फोन नंबर, अड्रेस, प्रोफाइल फोटो, एकाउंट डिस्क्रिप्शन के साथ फॉलोवर्स और लाइक्स की जानकारियाँ

Updated: Oct 08, 2020, 04:13 AM IST

courtsey : livemint
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नई दिल्ली। टिकटॉक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के करीब 23.5 करोड़ यूजर्स का डाटा और पर्सनल प्रोफाइल लीक होने का मामला सामने आया है। इस लीक के दौरण चोरी किए गए डाटा को साइबर अपराधियों द्वारा डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। इंटरनेट उपभोक्ताओं के हित में काम करने वाली 'कंपेरिटेक' के सिक्योरिटी रिसर्चर्स की मानें तो असुरक्षित डाटाबेस के कारण इस चोरी को अंजाम दिया गया है।  

फोर्ब्स ने अपने एक रिपोर्ट में इन सिक्योरिटी रिसर्चर्स के हवाले से बताया है कि लीक हुआ डाटा को अलग-अलग डाटासेट्स तक पहुंचा दिया गया है। इनमें से जो दो सबसे खास डाटा सेट हैं उन पर लगभग 10 करोड़ यूजर्स का डाटा सेव है। इसमें उन यूजर्स के भी प्रोफाइल हैं जिन्हें इंस्टाग्राम से हटा दिया गया है। जो डाटा लीक हुए हैं उनमें 4.2 करोड़ टिकटॉक यूजर्स हैं जबकि 40 लाख यूट्यूब यूजर्स हैं। बाकी के सारे यूजर्स इंस्टाग्राम के हैं। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें मौजूद प्रत्येक पांच रिकॉर्ड में से एक में यूजर का फोन नंबर, अड्रेस, प्रोफाइल नेम, पूरा असली नाम, प्रोफाइल फोटो, एकाउंट डिस्क्रिप्शन के साथ ही फॉलोवर्स और लाइक्स की संख्या भी मौजूद हैं। कंपेरिटेक के एडिटर पॉल बिस्चॉफ ने कहा है कि यब डाटा उन साइबर अपराधियों के लिए बेहद अहम है जो स्पैमर और फशिंग अभियान चलाते हैं। बता दें कि इंस्टाग्राम का स्वामित्व फेसबुक, यूट्यूब का स्वामित्व गूगल और टिकटॉक का स्वामित्व चीन की बाइटडांस कंपनी के पास है।

कौन है इसके पीछे? 

रिसर्चर्स के मुताबिक इस डाटा लीक के पीछे डीप सोशल नाम की एक कंपनी का हाथ है। इस कंपनी को वर्ष 2018 में फेसबुक और इंस्टाग्राम ने यूजर्स के प्रोफाइल स्क्रैप करने के कारण बैन कर दिया था। कंपेरिटेक ने बताया है कि सूचना देने के बाद डाटा मार्केटिंग कंपनी सोशल डाटा ने असुरक्षित डाटाबेस को बंद कर दिया है वहीं डीप सोशल से किसी प्रकार के संबंध से इंकार किया है।

क्या होता है डार्क वेब? 

डार्क वेब इंटरनेट के उस हिस्से को कहा जाता है जिसका एक्सेस आम यूजर्स के पास नहीं होती। इसे ही डार्क नेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल मानव तस्करी, मादक पदार्थों के व्यापार और हथियारों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में की जाती है। डार्क वेब की साइट्स को एक टूल की सहायता से छिपा दिया जाता है जिसके वजह से सामान्य सर्च इंजन से इस तक नहीं पहुंचा जा सकता है।