RSS में बड़ा फेरबदल, मोदी के करीबी दत्तात्रेय बने सरकार्यवाह, दक्षिण में पैठ बढ़ाने की कोशिश

करीब 12 साल बाद हुआ संघ में इतना बड़ा फेरबदल, सुरेश भैयाजी जोशी की जगह दत्तात्रेय होसबोले को मिला RSS में नंबर दो का पद

Updated: Mar 20, 2021, 11:52 AM IST

Photo Courtesy : Scroll.in
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बेंगलुरु। बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल प्रतिनिधि सभा के दौरान एक अहम फैसला लिया गया है। सुरेश भैयाजी जोशी की जगह अब दत्तात्रेय होसबोले को आरएसएस के सरकार्यवाह का पद दिया गया है। आरएसएस में सरकार्यवाह का पद सरसंघचालक के बाद नंबर दो का माना जाता है। होसबोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं, इसलिए उन्हें आरएसएस में नंबर दो का पद दिए जाने को संघ में मोदी की पकड़ पहले से मजबूत होने के तौर पर भी देखा जा रहा है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ में 12 साल के लंबे अंतराल के बाद इतना बड़ा फेरबदल किया गया है। सरकार्यवाह आरएसएस का इकलौता ऐसा पद है जिसका चुनाव किया जाता है। इसका कार्यकाल तीन साल का होता है। भैयाजी जोशी लगातार पिछले चार कार्यकाल से इस पद पर चुने जाते रहे हैं। आरएसएस में रोजमर्रा के कामकाज सरकार्यवाह ही करते हैं, जबकि सरसंघचालक मार्गदर्शन करने की भूमिका में रहते हैं।

दत्तात्रेय होसाबले के सरकार्यवाह चुने जाने को बेहद अहम माना जा रहा है। उन्हें ऐसे समय में यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, जब साल 2024 में आरएसएस की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाई जानी है। अब इससे जुड़े कार्यक्रम उनके कार्यकाल में ही कराए जाएंगे। इतना ही नहीं, साल 2024 के लोकसभा चुनाव भी उन्हीं के सरकार्यवाह रहते होंगे। ऐसे में उम्मीदवारी से लेकर अन्य नीतिगत फैसलों तक में उनका रोल काफी बड़ा होगा।

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संघ को नजदीक के जानने वाले लोगों का मानना है कि दत्तात्रेय के सरकार्यवाह चुने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दबदबा आरएसएस में भी बढ़ जाएगा। नए सरकार्यवाह की जिम्मेदारी दत्तात्रेय होसबोले को मिलने के साथ ही माना जा रहा है कि संघ के प्रमुख पदों पर कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। 

आरएसएस की गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक जानकार ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के अगले साल यानी 2015 में ही मोदी ने दत्तात्रेय को सरकार्यवाह बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, लेकिन तब वे सफल नहीं हुए थे। इसका कारण यह था कि संघ का एक धड़ा उन्हें नापसंद करता है। यही वजह है कि भैयाजी जोशी साल 2018 में अपना तीसरा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी फिर से सरकार्यवाह बन गए, जबकि वे बनना नहीं चाहते थे। हालांकि सरसंघचालक मोहन भागवत के कहने पर वह फिर से पद संभालने के लिए तैयार हो गए थे।

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माना जा रहा है कि संघ के एक धड़े में अब भी होसबोले के चुने जाने से नाराजगी है और यह तब खुलकर बाहर आएगी जब वे अपने हिसाब से फेरबदल करेंगे। कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दत्तात्रेय को सरकार्यवाह इसलिए चुना गया है ताकि दक्षिण में संगठन को मजबूत बनाया जा सके। इसी मकसद से इसबार प्रतिनिधिसभा का आयोजन भी उनके गृहराज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में किया गया था। 

कौन हैं दत्तात्रेय होसबोले

कर्नाटक के शिवमोगा के सोराब में जन्में दत्तात्रेय होसबोले संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 65 वर्षीय दत्तात्रेय अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वे 1968 में 13 वर्ष की आयु में स्वयंसेवक बने और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े। अगले 15 वर्षों तक वे परिषद् के संगठन महामंत्री रहे। 1975 से 77 के दौरान वे जेपी आन्दोलन में सक्रिय रहे। इमरजेंसी के दौरान वे लगभग पौने दो साल जेल में भी रहे। साल 2004 में उन्हें संघ के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद साल 2009 में उन्हें सह-सरकार्यवाह बनाया गया।

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सूत्रों के मुताबिक दत्तात्रेय अब अपने सह सरकार्यवाह की टीम में बड़ा बदलाव करेंगे। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चाएं हैं कि सुरेश सोनी को सरकार्यवाह के पद से हटाया जाएगा। साथ ही बीजेपी महासचिव राम माधव की संघ में एक बार फिर से वापसी की उम्मीद भी की जा रही है। आरएसएस में सरसंघचालक का निर्णय अंतिम होता है और उसका कोई चुनाव नहीं होता। संघ प्रमुख ही अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति करते हैं। पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन ने ही मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत की नियुक्ति की थी।