मशहूर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन, ऋषिकेश एम्स में थे भर्ती
सुंदरलाल बहुगुणा 8 मई को कोरोना से संक्रमित पाए गए थे, इसके बाद उन्हें उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित ऐम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, शुक्रवार दोपहर को इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया

नई दिल्ली/देहरादून। मशहूर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया है। सुंदरलाल बहुगुणा कोरोना से संक्रमित थे। 94 वर्षीय बहुगुणा ने शुक्रवार दोपहर को ऋषिकेश स्थित ऐम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। बहुगुणा 8 मई को कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। जिसके बाद उन्हें ऋषिकेश के ऐम्स में भर्ती कराया गया था।
सुंदरलाल बहुगुणा के निधन के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। रावत ने अपने ट्विटर हैंडल पर शोक प्रकट करते हुए कहा है, 'चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
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चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। pic.twitter.com/j85HWCs80k
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) May 21, 2021
उन्होंने आगे कहा, 'पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे।' मुख्यमंत्री ने बहुगुणा को याद करते हुए कहा कि मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोकाकुल परिजनों को धैर्य व दुःख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।'
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सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी, 1927 को उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था। बहुगुणा ने चिपको आंदोलन की अगुवाई की थी। यह आंदोलन मार्च 1974 में पेड़ों की कटाई के विरोध में हुआ था। जब महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गई थीं। बहुगुणा जीवन पर्यन्त पर्यावरण के रक्षक के तौर पर जाने जाते रहे। 2009 में मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। बहुगुणा महात्मा गांधी के दिखाए गए पदचिन्हों पर चलते थे। बहुगुणा को हिमालय का रक्षक भी कहा जाता था।