Punjab: 15 दिनों के लिए रेलवे ट्रैक से हटेंगे किसान, CM अमरिंदर सिंह ने दी जानकारी

23 नवंबर की रात से रेलवे ट्रैक ख़ाली करेंगे किसान संगठन, 15 दिनों में केंद्र सरकार को किसान संगठनों से खुली वार्ता करनी होगी

Updated: Nov 22, 2020, 12:36 AM IST

Photo Courtesy: Telegraph India
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चंडीगढ़। पंजाब में करीब डेढ़ महीने से बंद पड़ी रेल सेवा फिर से शुरू होने जा रही है। पंजाब सरकार की अपील पर किसानों ने सशर्त 15 दिन के लिए रेलवे ट्रैक से हटने का एलान किया है। शनिवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान संगठनों से मुलाकात की जिसमें यह फैसला हुआ है। हालांकि किसानों ने यह भी कहा है कि मांगें पूरी ना होने पर वे प्रदर्शन फिर से शुरू करेंगे। पंजाब के किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह और किसान संगठनों के बीच हुई बैठक करीब एक घंटा चली। इस दौरान सीएम ने ट्रेन का संचालन ठप होने से पंजाब को हो रहे नुकसान का भी हवाला दिया। वहीं किसान संगठनों ने कहा कि इन 15 दिनों के दौरान केंद्र सरकार को किसान संगठनों से खुली वार्ता करनी होगी। अगर केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानीं, तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर देंगे। फिलहाल अमरिंदर सिंह से बातचीत करने के बाद किसानों ने रेल रोको आंदोलन को पंद्रह दिन के लिए रोकने का फैसला किया है। हालांकि किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन में कोई बदलाव नहीं किया है। 26 नवंबर को किसान दिल्ली पहुंचकर केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगे।

अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘किसान यूनियनों के साथ एक सार्थक बैठक हुई। यह साझा करते हुए खुशी है कि 23 नवंबर की रात से किसान संगठनों ने 15 दिनों के लिए ट्रैक खोलने का निर्णय लिया है। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं क्योंकि यह हमारी अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति बहाल करेगा। मैं केंद्र सरकार से पंजाब के लिए रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने का आग्रह करता हूं।’

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करीब डेढ़ महीने से किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में रेलवे ट्रेक पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि मोदी सरकार के नए कृषि कानून किसानों, मज़दूरों और मंडी के छोटे व्यापारियों को बर्बाद कर देंगे और देश की खेती-बाड़ी पर बड़े कॉरपोरेट का कब्ज़ा हो जाएगा।

किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने ये नए कृषि कानून अपने करीबी पूंजीपतियों को फायदा दिलाने के लिए लाए हैं। इन कृषि कानूनों का पंजाब में कितना विरोध हो रहा है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि किसानों के दबाव में बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को भी मोदी सरकार और एनडीए से अलग होने का एलान करना पड़ा। लेकिन मोदी सरकार किसी भी हाल में नए कृषि कानूनों को लागू करने पर अड़ी हुई है। पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत विपक्ष के शासन वाले कई राज्यों ने भी केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करते हुए उन्हें बेअसर करने वाले विधेयक अपनी विधानसभाओं में पारित किए हैं।