कश्मीर में शांति के लिए ज़रूरी है पूर्ण राज्य का दर्जा, गुपकार नेताओं ने एक स्वर में उठाई मांग

पीएम के साथ गुरुवार को हुई बैठक में गुपकार के नेताओं ने एक स्वर में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई, नेताओं ने कहा कि भारत सरकार के 5 अगस्त के निर्णय के बाद कश्मीर की जनता बेहद आक्रोश में है और खुद को अपमानित महसूस कर रही है

Publish: Jun 25, 2021, 03:55 AM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर। गुरुवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कश्मीर नेताओं की बैठक हुई। करीब साढ़े तीन घंटे तक हुए इस मंथन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेरा और गुपकार गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि विश्वास जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना केंद्र सरकार द्वारा भरोसे के निर्माण के लिए सबसे पहला कदम होगा। 

वहीं फारूक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत सरकार के 5 अगस्त 2019 के निर्णय को गलत और अस्वीकार्य करार दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग उनसे पूर्ण राज्य का दर्जा छीने जाने से खफा हैं। उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए।

अपमानित महसूस कर रहे हैं जम्मू कश्मीर के लोग 

वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोग पिछले दो सालों से दर्द में हैं। वे काफी आक्रोशित हैं और खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। मुफ्ती ने कहा कि लोगों ने 370 हटाए जाने के अनैतिक निर्णय को स्वीकार नहीं किया है। मुफ्ती ने कहा कि मैं और मेरी पार्टी शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से जम्मू कश्मीर में धारा 370 की बहाली के लिए लड़ेगी। मुफ्ती ने कहा कि भले इसमें वर्षों का वक्त लग जाए, लेकिन यह हमारी पहचान का सवाल है। मुफ्ती ने कहा कि धारा 370 हमें पाकिस्तान ने नहीं दिया था। 

इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती ने बैठक में प्रधानमंत्री से कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और चीन से बातचीत शुरू करने की मांग की। मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए यह जरूरी है। इसके अलावा महबूबा मुफ्ती ने नेताओं की रिहाई की भी मांग की। 

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केंद्र का आश्वासन संतोषजनक नहीं 

केंद्र के साथ हुई बैठक के बाद सीपीआईएम नेता एमवाय तारिगामी ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने बड़े धैर्यपूर्वक हमारी मांगों को सुना। लेकिन हमें केंद्र की ओर से कोई संतोषजनक आश्वासन नहीं मिला।