सुरक्षित नहीं है आरोग्य सेतु एप?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस एप से व्यक्तियों के डेटा का दुरुपयोग हो सकता है.

Publish: May 04, 2020, 01:39 AM IST

केंद्र सरकार ने सभी के लिए आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करना जरूरी कर दिया है. खासकर प्राइवेट कंपनियों और व्यक्तियों के लिए. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस एप से व्यक्तियों के डेटा का दुरुपयोग हो सकता है.

साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक, “आरोग्य सेतु एप से कोरोना वायरस कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग करने का सरकार का इरादा अच्छा है. हालांकि, इस एप को सभी के लिए जरूरी बनाने को लेकर संसद में किसी तरह का कानून पास नहीं हुआ है. इस एप को सभी के लिए जरूरी कर देना इनफॉरमेशन टेक्नॉलजी एक्ट, 2000 का उल्लंघन करता है. इसका प्रयोग आपातकालीन तौर पर तो किया जा सकता है लेकिन यह सरकार के सामने कानूनी चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है.”

पवन दुग्गल ने बताया कि शुरुआत में एप के साथ नियम व शर्तों और प्राइवेसी पॉलिसी भी अपलोड की गई थी. हालांकि, अब उस प्रावधान को हटा लिया गया है जिसमें लिखा था कि किसी भी प्रकार के डेटा लीक के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होगी.

उन्होंने आगे बताया, “प्राइवेसी पॉलिसी भी नहीं बताती कि हमारा डेटा कितना सुरक्षित है. एप में किसी भी प्रकार के साइबर सिक्योरिटी प्रावधानों का उल्लेख नहीं है. साथ में यह भी नहीं बताया गया है कि एप आईटी एक्ट, 2000 और आईटी नियम, 2011 का अनुपालन करती है या नहीं. एप यह भी नहीं बताती कि सरकारी एजेंसियों में कौन मेरे डेटा का प्रयोग करेगा. इसलिए इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि एप का प्रयोग लोगों को मॉनीटर करने के लिए हो सकता है.”

करीब 45 संस्थाओं और 100 से अधिक लोगों ने 2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद को एप के प्रयोग को निजी और सरकारी संस्थानों में काम करने वालों के लिए जरूरी ना करने के लिए पत्र लिखा.

पत्र में एप के प्रयोग से लोगों की प्राइवेसी का उल्लंघन होने की बात कही गई. हालांकि, सरकार का कहना है कि एप से किसी भी तरह की प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं होगा.

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एप को लेकर सवाल किया. उन्होंने एप को अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली का हिस्सा बताया, जिससे प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, “आरोग्य सेतु एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली है जिसे एक निजी ऑपरेटर को ऑउटसोर्स किया गया और इसमें कोई संस्थागत जांच परख नहीं है. इससे डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं.”