पिछले 6 महीने में कितने पुल और सड़कें टूटीं, कितने हुए हादसे, पढ़िए रिपोर्ट

हादसों से भरा रहा इस साल अक्टूबर का महीना, कई सड़कें, फ्लाईओवर और निर्माणाधीन पुल हुए क्षतिग्रस्त, मोरबी में सैंकड़ों लोगों की मौत, इन हादसों से कब सबक लेगी सरकार?

Updated: Oct 31, 2022, 06:02 AM IST

गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज हादसे ने देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 141 निर्दोष लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। आखिर सरकार इन हादसों से कब सबक लेगी? बीते 6 महीनों में एक-दो नहीं कई दर्जन ऐसी घटनाएं हुईं, जो निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की पोल खोलती हैं। केंद्र और राज्य सरकार की लापरवाही का ही नतीजा है कि गुजरात में इतना बड़ा हादसा हो गया। हम आज आपको बताएंगे कि पिछले 6 महीने में देश में कितने पुल और सड़कें टूटी और कितने हादसे हुए। 

भारत जैसे विशाल देश में हादसों का लेखा जोखा दे पाना वैसे तो असंभव है। भ्रष्टाचार की असंख्य कहानियां हैं। लेकिन इस साल के कुछ मुख्य घटनाओं पर नजर डालते हैं। इसी महीने बीजेपी शासित कर्नाटक के बेंगलुरु में 19.5 करोड़ की लागत से निर्मित अंडर पास के हिस्से के रूप में बनाया गया सर्विस रोड ध्वस्त हो गया। ये घटना उद्घाटन समारोह के महज चार महीने बाद हुआ है, जिसने कांग्रेस को राज्य की बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लागने का एक और मौका दे दिया। 

इसी महीने गोवा में हुई बारिश ने भाजपा शासन की पोल खोल दी। बारिश के चलते दक्षिणी गोवा में दूधसागर वॉटरफॉल पर बने एक केबल ब्रिज के टूट गया। पुल टूटने की वजह से कई पर्यटक वॉटरफॉल में फंस गए, जिसके बाद राहत और बचाव दल ने करीब 40 पर्यटकों को वहां से सुरक्षित निकाला। 

इसी तरह का हादसा बीजेपी शासित यूपी के ग्रेटर नोएडा में  देखने को मिला। दरअसल, बारिश के कारण ग्रेटर नोएडा स्थित एक्सप्रेस एस्ट्रा के पास सड़क का एक हिस्सा टूट कर क्षतिग्रस्त हो गया। सड़क का एक बड़ा हिस्सा जमीन में समा गया। गनीमत रही की कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। 

इसी महीने तेलंगाना के अंधावेली में पेद्दावगु में पुल ढह गया। जिससे कागजनगर और कुमारमभीम-आसिफाबाद जिले के लगभग 40 गांवों के बीच परिवहन सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कुछ दिनों पहले लगातार बारिश के कारण पुल क्षतिग्रस्त हो गया था और पिछले हफ्ते पूरी तरह से ढह गया। इसी तरह पिछले हफ्ते केरल के कासरगोड में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरा। जिसमें करीब आधा दर्जन मजदूर घायल हो गए। 

करीब दो हफ्ते पहले कानपुर मेट्रो साइट पर सड़क ने गुफा का रूप ले लिया। सड़क से गुजर रहा एक युवक बाइक समेत सड़क में समा गया। स्थानीय लोगों ने काफी मशक्कत से उसे बाहर निकाला। इसी महीने लुधियाना में गुलाटी चौक के पास अचानक सड़क में गड्ढा बन गया। संयोग से कोई वाहन चालक इसका शिकार नहीं बना। लेकिन सड़क पर गड्ढा होने से यातायात पर काफी देर तक प्रभावित रहा।

5 दिनों में धंसा एक्सप्रेसवे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 16 जुलाई को जालौन के कैथेरी गांव से पूरे देश को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की सौगात दी थी। अपने शुभारंभ के पहले हफ्ते में ही एक्सप्रेसवे की सड़क धंस गई। सड़क पर करीब दो फीट गहरा गड्ढा हो गया, जिसमें एक कार फंसकर क्षतिग्रस्त हो गई। शुरुआती 5 दिनों में इस एक्सप्रेस-वे पर गड्ढों के कारण 4 मौतें भी हुई और कई वाहन दुर्घटना के शिकार हुए। 

इस साल अगस्त में भाजपा शासित मध्य प्रदेश में 300 करोड़ की लागत से बनी कारम डैम लीक होने का मामला सामने आया था। इस दौरान डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांव को खाली कराया गया। डैम फूटने से हजारों एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। आदिवासी इलाके में लोगों का घर बह गया। डैम निर्माण में बड़े स्तर पर धांधली और भ्रष्टाचार के भी खुलासे हुए। लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। धार की इस घटना के बाद प्रदेश के तीन अन्य जिलों में भी डैम लीक की खबरें आई। 

अगस्त महीने में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे सेक्टर 96 के पास सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया। जिसकी वजह से इस एक्सप्रेस वे पर काफी बड़ा गड्ढा हो गया। करीब 12 से 15 फीट बड़ा गड्ढा होने के कारण हफ्तों तक यातायात प्रभावित हुआ।

अगस्त में ही बारिश के चलते बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 पर फोरलेन टनल को जोड़ने वाले फ्लाईओवर का एक हिस्सा ढह गया। दो गाड़ियां भी इसकी चपेट में आ गई। गनीमत रही कि इन गाड़ियों में कोई सवार नहीं था। 

अगस्त की बारिश में भारतीय रेलवे लाइन की ऐतिहासिक धरोहर पठानकोट-कांगड़ा जोगेंद्रनगर रेलवे ट्रैक भी ठप हो गया था। दरअसल बरसात के कारण चक्की के पास एक रेलवे पुल बाढ़ की भेंट चढ़ गया। यह चक्की पुल बेहद पुराना और पंजाब से हिमाचल तक रेलवे ट्रैक को जोड़ने वाला एकमात्र पुल था। पंजाब की ओर से पहले से ही क्षतिग्रस्त हिस्सा बाढ़ की चपेट में आकर पूरी तरह बह गया। 

इससे पहले जुलाई में बिहार के कटिहार जिले के बरारी में सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) का निर्माणाधीन पुल ढह गया। यह पुल केंद्र की मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना के तहत डुमर पंचायत के नाटा टोला के पास कोसी नदी पर बन रहा था। हादसे में 10 मजदूर गंभीर रूप से घायल भी हुए। 

जुलाई में ही ऋृषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग से 6 किमी की दूरी पर नरकोटा के पास बन रहा निर्माणाधीन पुल टूट गया था। इस हादसे में आधा दर्जन से ज्यादा मजदूर घायल हो गए और बाद में दो मजदूर की मौत हो गई थी। 

अप्रैल में मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में रविवार को भोपाल-नागपुर नेशनल हाईवे–69 पर सुखतवा नदी पर बना अंग्रेजों के जमाने का पुल भरभराकर गिर पड़ा था। यह पुल उस समय टूटा, जब उसके ऊपर से भारी भरकम सामान लेकर 138 पहियों वाला ट्राला गुजर रहा था। इस हादसे में ट्राला भी सामान सहित पुल के नीचे गिर गया था। 

अप्रैल में ही बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बन रहा पुल रात में आंधी को नहीं झेल पाया था। तेज हवा के चलते निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा टूट कर गिर गया।।पुल का निर्माण 2015 में शुरू किया गया था। पुल की लागत 1711 करोड़ रुपए बताई गई। निर्माण के लिए घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिस वजह से हवा के झोंकों से पुल ढह गया।