संसद के विशेष सत्र में उठा महिला आरक्षण का मुद्दा, नेता प्रतिपक्ष ने की इसी सत्र में बिल पारित कराने की मांग

राज्यसभा में पारित होने के बावजूद भी ये विधेयक आज तक पारित नहीं हो पाया। हम सभी देशवासियों की तरफ से फिर से मांग करते हैं कि 'महिला आरक्षण विधेयक' पारित किया जाए: अधीर रंजन चौधरी

Updated: Sep 18, 2023, 06:35 PM IST

नई दिल्ली। संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र का आगाज हो चुका है। आज पहले दिन आजादी के बाद 75 साल की उपलब्धियों पर चर्चा हो रही है। सत्र की शुरूआत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के संबोधन से हुई और इसके बाद पीएम मोदी ने सदन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान तमाम पूर्ववर्ती सरकारों और नेताओं के योगदान को याद किया और सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वो अपनी अपनी मधुर यादों को यहां रखें।

इसके बाद जब नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सदन को संबोधित किया तो उन्होंने सरकार पर भी कई बार तंज कसा। अधीर रंजन चौधरी ने फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना द्वारा बोले गए डॉयलॉग 'जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं' के साथ अपना भाषण खत्म किया। इस दौरान चौधरी ने महिला आरक्षण बिल का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, 'हमारी पार्टी की CPP चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी ने 'महिला आरक्षण विधेयक' के लिए सदन में कई बार सवाल किए हैं। लेकिन राज्यसभा में पारित होने के बावजूद भी ये विधेयक आज तक पारित नहीं हो पाया। हम सभी देशवासियों की तरफ से फिर से मांग करते हैं कि 'महिला आरक्षण विधेयक' पारित किया जाए।'

संसद के इतिहास का जिक्र करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हमारी इस संसद में क्या-क्या हुआ उसका छोटा सा ब्यौरा देना चाहता हूं। 1951 में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट पारित हुआ था जिसने लोगों को वोट देने का अधिकार दिया। अगर विटो देने का अधिकार ना होता तो आज हमें बांकी बात करने की गुंजाइश नहीं मिलती है। इसके बाद कमोडिटी एक्ट आया, हरित क्रांति आई..1974 में जब एटमॉकि विस्फोट हुआ था तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी.ये भी आपको याद दिलाते हैं। सूचना और प्रौद्योगिकी क्रांति राजीव गांधी लाए थे। अब तो हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, स्वर्गीय राजीव गांधी ने इसकी शुरूआत की थी। हमें इतिहास को नहीं भूलना चाहिए।'

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हमारे मनमोहन सिंह जी को कहा जाता था कि वह मौन रहते हैं, वह मौन नहीं रहते थे। बल्कि काम ज्यादा और गप्प कम करते थे।' उन्होंने कहा, 'जब यह खबर मिल रही है कि आज इस सदन का अंतिम दिवस है तो सही मायनों में भावुक होना तो स्वाभाविक है। ना जाने कितने दिग्गजों और देशप्रेमियों ने देश के लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए यहां योगदान दिया है। बहुत सारे हमारे पूर्वज इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनकी याद हम करते रहेंगे। यह सदन जरूर कहेगा। जिंदगी में कितने दोस्त आए और कितने बिखर गए। कोई दो रोज के लिए आया तो किसी ने चलते ही सांस भर ली। लेकिन जिंदगी का नाम ही है दरिया, वो तो बस बहता रहेगा, चाहे रास्ते में फूल गिरें या पत्थर।'

अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि जब संसद में संविधान की चर्चा हो, लोकतंत्र की चर्चा हो तो पंडित नेहरू और बाबा साहेब आंबेडकर की बात जरूर होगी। उन्होंने आगे कहा, 'नेहरूजी को तो आर्किटेक्ट ऑफ मॉर्डन इंडिया कहा जाता था। वहीं, बाबा साहेब आंबेडकर को हम संविधान के जनक की मान्यता देते हैं। अच्छा लगा कि आज नेहरूजी के बारे में बात करने का मौका मिला।'