विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में केंद्रीय मंत्री शेखावत की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने दिया वॉइस सैंपल लेने का निर्देश

जयपुर की एक अदालत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कथित बिचौलिए संजय जैन की आवाज के नमूने लेने की अनुमति दे दी है

Updated: Jul 08, 2021, 11:18 AM IST

Photo Courtesy: Outlook
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जयपुर। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए विधायकों के हॉर्स ट्रेडिंग यानी खरीद-फरोख्त के मामले में पीएम के करीबी मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जयपुर की एक अदालत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के वॉइस सैंपल यानी आवाज के नमूने लेने के निर्देश दिए है। ये वॉइस सैंपल उस ऑडियो क्लिप से आवाज मिलाने के लिए ली जाएगी जिसमें बीजेपी नेता शेखावत राजस्थान की गहलोत सरकार को गिराने की साजिश के तहत विधायकों को खरीदने का प्रयास कर रहे थे।

जानकारी के मुताबिक राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बीते 30 जून को अदालत में एक अर्जी दायर किया था, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्रीय मंत्री शेखावत और कथित बिचौलिए संजय जैन की आवाज के नमूने लेने की अनुमति दी जाए। बुधवार को जयपुर में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट नंबर दो के समक्ष इस मामले को सूचीबद्ध किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों आरोपियों की वॉइस सैंपल लेने की अनुमति दे दी।

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अदालत ने इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अधिकृत किया है। वहीं वॉइस सैंपल लेने की जिम्मेदारी रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल को दी गई है। दरअसल, बीते साल राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मतभेद उभरकर सामने आई थी। कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट राज्य के सीएम अशोक गहलोत से नाराज चल रहे थे। कहा जाता है कि इसी बात का फायदा उठाकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की ओर से गजेंद्र सिंह शेखावत ने पायलट खेमे के विधायकों को खरीदकर गहलोत सरकार को गिराने की योजना बनाई थी

राजस्थान एटीएस ने जांच में पाया कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बिचौलिए संजय जैन के माध्यम से कांग्रेस एमएलए भंवरलाल शर्मा से बात की और उन्हें मोटी रकम लेकर इस्तीफ़ा देने का प्रस्ताव दिया। इस बातचीत का ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। हालांकि, कांग्रेस हाईकमान से मिलने के बाद पायलट खेमे की नाराजगी दूर हो गई और एक भी विधायक बीजेपी जॉइन नहीं कर पाया। ऐसे में माना जा रहा है कि गजेंद्र शेखवात की योजना फ्लॉप हो गई और यहां तक कि वह अपने ही बिछाए जाल में फंस गए।