Jammu Kashmir: 15 अगस्त के बाद ट्रायल के तौर पर 4G इंटरनेट

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था जम्मू-कश्मीर में 4 जी इंटरनेट की संभावनाएं तलाशें, ट्रायल के परिणामों की दो महीने बाद होगी समीक्षा

Updated: Aug 12, 2020, 04:08 AM IST

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू- कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल करने के मसले को देख रही विशेष समिति ने जम्मू और कश्मीर डिवीजन में 15 अगस्त के बाद प्रयोग के आधार पर सीमित स्तर पर 4जी सेवा बहाल करने का फैसला किया है।

जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ को केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विशेष समिति ने जम्मू कश्मीर डिवीजन के एक- एक जिले में प्रयोग के आधार पर तेज गति वाली इंटरनेट सेवायें बहाल करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट उस आदेश के अवमानना वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने 11 मई को केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर के कुछ इलाकों में 4जी सेवा बहाल करने की संभावनाएं तलाशने को कहा था।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि समिति ने जम्मू- कश्मीर में थोड़ा- थोड़ा करके 4जी सेवाएं उपलब्ध कराने का फैसला किया है और इस प्रयोग के नतीजों की दो महीने बाद समीक्षा की जाएगी। उन्होंने बताया कि समिति ने सुरक्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुये कई विकल्पों पर विचार किया क्योंकि खतरा अब भी बहुत ज्यादा है।

पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों केन्द्र और जम्मू- कश्मीर प्रशासन का यह दृष्टिकोण काफी बेहतर है। पीठ ने कहा कि चूंकि दोनों प्रशासन एक ही बात कह रहे हैं कि इसकी समीक्षा बाद में की जाएगी, तो फिर इस मामले को अब लंबित क्यों रखा जाए। वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि अवमानना का कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि न्यायालय के आदेशों का अनुपालन हो रहा था।

गैर सरकारी संगठन ‘फाउण्डेश्न फार मीडिया प्रोफेशनल्स’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि एक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी भी हमारी चिंता बरकरार है। उन्होंने विशेष समिति का आदेश प्रकाशित करने और इसे सार्वजनिक करने का मुद्दा उठाया और कहा कि इसकी समय- समय पर समीक्षा भी होनी चाहिए।

अहमदी ने कहा कि वह अटॉर्नी जनरल के कथन को ध्यान में रखते हुये अवमानना कार्यवाही के लिए जोर नहीं दे रहे हैं। जम्मू- कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के संबंध में शीर्ष अदालत के 11 मई के आदेश पर अमल नहीं किये जाने के कारण इस गैर सरकारी संगठन द्वारा अवमानना कार्यवाही के लिये दायर यचिका पर सुनवाई कर रही थी।

जम्मू- कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और इसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभक्त करने के केन्द्र सरकार के पिछले साल अगस्त के फैसले के बाद से ही इस केन्द्र शासित प्रदेश में उच्च क्षमता वाली 4जी इंटरनेट सेवा निलंबित है।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही अटॉर्नी जनरल ने एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया और कहा कि विशेष समिति की 10 अगस्त को बैठक हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘समिति का यह मानना था कि खतरे की आशंका अभी भी बहुत ज्यादा है। उच्च गति वाली इंटरनेट सेवा निलंबित होने से कोविड-19 महामारी के प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं में किसी प्रकार की बाधा नहीं पड़ रही है।’’

उन्होंने कहा कि समिति का मानना था कि मौजूदा स्थिति उच्च गति वाली इटरनेट सेवा पर लगा प्रतिबंध हटाने के अनुरूप नहीं है। हालाकि, समिति ने कतिपय उन इलाकों में कुछ प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है जो कम संवेदनशील हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि समिति ने उच्च गति वाली इंटरनेट सेवा प्रयोग के आधार पर थोड़ा- थोड़ा करके प्रदान करने का निर्णय लिया है और सुरक्षा पर इसके प्रभाव का आकलन किया जायेगा।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नियंत्रण रेखा के आसपास यह प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा और जिन इलाकों में यह प्रतिबंध हटाया जा सकता है उनमें आतंकी गतिविधियां कम होनी चाहिए।