पश्चिम बंगाल में क्या है नीतीश कुमार की चाल, क्यों कर रहे 75 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

तेजस्वी यादव ने किया है ममता बनर्जी को समर्थन देने की एलान, ऐसे में नीतीश बनेंगे आरजेडी की काट या बीजेपी से चुकाना चाहते हैं बिहार चुनाव का हिसाब

Updated: Dec 18, 2020, 01:43 AM IST

Photo Courtesy : Amarujala
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कोलकाता। बिहार में बीजेपी की कृपा से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अब पश्चिम बंगाल चुनाव में उतरने का फैसला कर लिया है। खबर है कि जेडीयू ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बताया जा कहा जा रहा है कि पार्टी ने बिहार से लगे करीब 75 विधानसभा क्षेत्रों की पहचान भी कर ली है, जहां वो अपने उम्मीदवार उतारेगी। 

जेडीयू के पश्चिम बंगाल प्रभारी विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा है कि वह लगातार पश्चिम बंगाल इकाई के संपर्क में हैं। पार्टी चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। जेडीयू वहां 75 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने इसके लिए वैसी सीटों का चयन किया है जो बिहार से सटी हैं और जिन पर जेडीयू का प्रभाव है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही पश्चिम बंगाल इकाई के नेता जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे और मीटिंग में सबकुछ तय किया जाएगा।

क्या बिहार चुनाव का हिसाब चुकाएगी जेडीयू

कुछ लोगों का मानना है कि जेडीयू पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में ताल ठोक कर बिहार विधानसभा का हिसाब चुकाना चाहती है। हाल ही में बिहार में संपन्न विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बहुमत तो हासिल कर लिया, लेकिन एलजेपी की ओर से जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे जाने के चलते नीतीश की पार्टी को सीटों के मामले में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कई सीटों पर एलजेपी के वोट काटने की वजह से ही जेडीयू के उम्मीदवार हार गए। नतीजा ये हुआ कि जेडीयू बिहार में बीजेपी से पिछड़कर तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। विशेषज्ञों का एक धड़ा मानता है कि असल में बीजेपी ने ही यह खेल रचा था और जेडीयू में इस बात की टीस जरूर है। ऐसे में उनका मानना है कि नीतीश इस चुनाव में एलजेपी का हिसाब बीजेपी से चुकाना चाहती है। लेकिन सवाल ये भी है कि बीजेपी की बदौलत मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज नीतीश कुमार क्या अब बड़े भाई बीजेपी को नाराज़ करके अपनी चहेती कुर्सी को खतरे में डालेंगे?

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किस पार्टी का वोट काटेगी जेडीयू

दूसरा समीकरण ये भी है हो सकता है कि पश्चिम बंगाल में आरजेडी ने ममता बनर्जी को समर्थन देने का एलान किया है। जाहिर है तेजस्वी यादव के समर्थन का सबसे ज़्यादा असर बिहार से सटे इलाकों और बिहारी मूल के लोगों की ज़्यादा आबादी वाले क्षेत्रों में होगा। तो क्या नीतीश कुमार ऐसे ही इलाकों में अपने उम्मीदवार लड़ाकर दरअसल आरजेडी के समर्थन को बेअसर करना चाहते हैं? ताकि उनके बड़े भाई बीजेपी की पश्चिम बंगाल में हर कीमत पर राजगद्दी हासिल करने की मुराद पूरी हो सके? लेकिन जेडीयू के उम्मीदवारों ने अगर पश्चिम बंगाल में सत्ता विरोधी वोट में सेंध लगाई तो उसका नुकसान बीजेपी को भी हो सकता है। यानी कुल मिलाकर मामला अभी उलझा हुआ है। लेकिन उम्मीदवारों और सीटों के एलान के बाद तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगा।