मॉडर्न केरल की शिल्पकार केआर गौरी का निधन, पहली विधानसभा की अकेली जीवित सदस्य थीं अम्मा
केरल की दिग्गज कम्युनिस्ट नेत्री केआर गौरी अम्मा ने 102 साल की उम्र में आज अंतिम सांस ली है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर दुख जताया

त्रिवेंद्रम। मॉडर्न केरल की शिल्पकार मानी जाने वाली केरल की वयो वृद्ध नेता केआर गौरी का निधन हो गया है। गौरी ने आज सुबह 102 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली। देश की आजादी के बाद केरल के सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक गौरी को लोग प्यार से अम्मा पुकारते थे। केरल की क्रांतिकारी भूमि सुधार विधेयक का पूरा श्रेय अम्मा को जाता है। गौरी अम्मा के निधन से केरल के राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केआर गौरी अम्मा के निधन पर दुख जताया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'के आर गौरी अम्मा जी के परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। केरल की राजनीति में उन्होंने एक लंबी उपस्थिति दर्ज करते हुए वह कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं। उनकी शानदार जीवन यात्रा के सामने नतमस्तक हूँ।'
My heartfelt condolences to the family of K R Gouri Amma ji.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 11, 2021
A tall presence in Kerala’s politics, she remains a source of inspiration to many.
Paying homage to her brilliant life journey.
बताया जा रहा है कि ज्यादा उम्र होने की वजह से अम्मा कई बीमारियों से जूझ रही हैं। मंगलवार सुबह सात बजे उन्होंने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस लीं। केरल की सबसे शक्तिशाली महिला नेताओं में शुमार गौरी अम्मा आजादी के बाद केरल की पहली विधानसभा की सदस्य चुनी गईं थीं। केरल की पहली विधानसभा की वह एक मात्र जीवित सदस्य थीं।
साल 1957 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ई एम एस नंबूरीपाद के नेतृत्व में केरल में जब पहली बार सरकार बनी थी, तब अम्मा को राजस्व मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया था। राजस्व मंत्री रहते हुए अम्मा ने केरल में क्रांतिकारी भूमि सुधार विधेयक पेश किया था। बेहद कम उम्र से राजनीति में प्रवेश करने वाली अम्मा केरल में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेताओं में एक हैं। गौरी अम्मा को मॉडर्न केरल का शिल्पकार कहा जाता है।
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गौरी अम्मा का विवाह टी वी थॉमस से हुआ था जो उनके कैबिनेट सहयोगी भी थे। साल 1964 में कम्युनिस्ट पार्टी में दो फाड़ होने के बाद अम्मा माकपा में शामिल हो गईं थी जबकि उनके पति भाकपा में ही रहे। सन 1994 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से निकाले जाने के बाद गौरी अम्मा ने नया राजनीतिक दल जनाधिपत्य संरक्षण समिति (जेएसएस) का गठन किया था। ट्रेड यूनियन और किसान आंदोलनों में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी, इस दौरान कई बार वे जेल भी गईं। अम्मा के निधन से उनके चाहने वालों में शोक की लहर है।