भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी पर हिरासत में लिए गए महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी

महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी को मुंबई में हिरासत में लिया गया है। उन्होंने ट्वीट कर खुद इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि वह भारत छोड़ो आंदोलन को बरसी मनाने के लिए निकले थे।

Updated: Aug 09, 2023, 07:01 AM IST

मुंबई। महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी को मुंबई में हिरासत में लिया गया है। उन्होंने ट्वीट कर खुद इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि वह भारत छोड़ो आंदोलन को बरसी मनाने के लिए निकले थे। लेकिन सांता क्रूज पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 

सांता क्रूज पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर तुषार गांधी ने कहा, 'मैं 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदलन की बरसी मनाने के लिए घर से बाहर निकला था और सांता क्रूज पुलिस स्टेशन में डिटेन कर लिया गया। मुझे अपने दादा-दादी महात्मा गांधी और बा पर गर्व हैं, जिन्हें इसी ऐतिहासिक तारीख पर अंग्रेजों ने हिरासत में लिया था। इस बात का भी गर्व है कि इसी दिन मुझे भी यहां से गिरफ्तार किया गया है।'

तुषार गांधी ने बताया कि वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी जीजी पारिख के नेतृत्व में बंबई चौपाटी से अगस्त क्रांति मैदान तक का शांति मार्च का आयोजन किया गया था। इस मार्च का नारा था "नफरत भारत छोड़ो, मोहब्बत से नाता जोड़ो"। हम कुछ दर्जन लोग शांतिपूर्वक हर साल की तरह ही इस बार भी मार्च निकालने वाले थे। लेकिन पुलिस ने मुझे हिरासत में ले लिया। उधर सोशल एक्टिविस्ट तिस्ता सीतलवाड़ को भी पुलिस घर से नहीं निकलने दे रही है। 

तुषार गांधी को हिरासत में लिए जाने की खबर सामने आने के बाद देशभर में मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की आलोचना हो रही है। हालांकि, बवाल बढ़ता देख बाद में पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तुषार गांधी ने ट्वीट कर बताया कि पुलिस ने अब उन्हें जाने की अनुमति दे दी है। वे अगस्त क्रांति मैदान की ओर जा रहे हैं।

बता दें कि 'भारत छोड़ो आंदोलन' का देश की आजादी में अहम रोल था। इसे 'अगस्त आंदोलन' या 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मुख्य मकसद देश से ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। ये 8 अगस्त, 1942 की शाम मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में शुरू हुआ था। भारत छोड़ो' आंदोलन को आज़ादी से पहले भारत का सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है। लाखों भारतीय इस आंदोलन में कूद पड़े थे। देश भर में जेलें क़ैदियों से भर गई थी। इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत को चौंका दिया था। 

इस आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब 8 अगस्त 1942 की शाम मुंबई की गोवालिया टैंक मैदान में लाखों लोग जुटे थे। ये मैदान खचाखच भरा था और भीड़ के सामने मंच पर गांधी थे। लोग कान लगाए उत्सुकता से गांधी को सुन रहे थे। महात्मा गांधी ने इस दौरान ब्रिटिश हुकूमत को ललकारते हुए हुए अपने हाथ उठाए और करो या मरो के प्रण के साथ दो शब्द कहे। ये दो शब्द ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील साबित हुए। वो दो शब्द था- 'भारत छोड़ो'। 

गांधी के इस आह्वान के बाद मुंबई के आसमान में ब्रिटिश हुकूमत विरोधी नारे गूंज रहे थे और डूबता हुआ सूरज आजादी का सपना दिखा रहा था। इस ऐतिहासिक आंदोलन को याद करने के लिए हर साल 9 अगस्त को 'भारत छोड़ो आंदोलन' की बरसी पर पीपुल्स मूवमेंट के तौर पर गिरगांव चौपाटी पर तिलक प्रतिमा से अगस्त क्रांति मैदान तक मार्च निकाला जाता है। इस बार "नफरत भारत छोड़ो" के आह्वान के साथ मार्च निकालने की तैयारी है।