Parliament Updates: संसद में पहले दिन चीन, इकॉनोमी और कोरोना पर घिरी सरकार

Parliament Monsoon Session 2020: कोरोना संकट के बीच शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र, विपक्ष ने पूछे तीखे सवाल

Updated: Sep 15, 2020, 03:41 AM IST

Photo Courtsey : Deccan Herald
Photo Courtsey : Deccan Herald

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन रहा। इस दौरान लोकसभा की कार्यवाही हुई और विपक्ष ने सरकार को अनेक मुद्दों पर घेरा। नीट परीक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था, चीन के साथ तनाव, कोरोना वायरस, रोजगार और दिल्ली दंगों तक, सभी मुद्दों पर विपक्ष के नेता एकजुट नजर आए। केंद्र सरकार द्वारा संसद के प्रश्नकाल को खत्म कर देने पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए।

दिन की शुरुआत होते ही डीएमके के सांसदों ने नीट परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। सांसद टीआर बालू और कनिमोझी ने इसका नेतृत्व किया। वहीं पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ को लेकर कांग्रेस सांसदों अधीर रंजन चौधरी और के सुरेश ने स्थगन प्रस्ताव पेश किया। नीट परीक्षार्थियों की आत्महत्या को लेकर डीएमके और सीपीएम ने भी स्थगन प्रस्ताव को आगे बढ़ाया।

दूसरी तरफ रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन प्रेमचंद्रन ने दिल्ली दंगों में पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में प्रमुख नेताओं का नाम होने के विरोध में स्थगन का नोटिस दिया। सीपीएम ने इसका समर्थन किया। 

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वहीं कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री से तीन मुद्दों पर जवाब मांगे। पहला चीन की आक्रामकता, दूसरा अर्थव्यवस्था का पतन और तीसरा कोरोना वायरस संकट। उन्होंने कहा कि ये तीनों मुद्दे राष्ट्रीय हित से जुड़े हुए हैं और सरकार को इसका जवाब देना पड़ेगा। 

इसी बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रश्नकाल खत्म किए जाने का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास कर रही है। संसद की कार्यवाही तो आयोजित की जाती है लेकिन संकट के नाम पर प्रश्नकाल आयोजित नहीं किया जाता। प्रश्नकाल बहुत जरूरी होता है। सांसद प्रश्न पूछते हैं। यह उनका अधिकार है कि वे सरकार से प्रश्न पूछें।

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की संसद सुप्रिया सुले ने अर्थव्यस्था और रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के पहले दिन हमें आर्थिक हालात, बेरोजगारी और बढ़ते कोरोना संकट पर बहस करनी चाहिए थी उन्होंने कहा कि सरकार इन मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दे रही है, जबकि यह बहुत जरूरी है।