Nirmala Sitharaman: मुफ्त कोरोना वैक्सीन का वादा गलत नहीं, सबको है घोषणापत्र में वादे करने का हक

Bihar Elections 2020: जो वैक्सीन बनी ही नहीं, उसे मुफ्त देने का वादा क्यों, क्या बीजेपी बिहार में चुनाव हार गई तो नहीं दी जाएगी मुफ्त वैक्सीन, कोरोना जब राष्ट्रीय आपदा है तो देश के सभी राज्यों के लिए मुफ्त वैक्सीन क्यों नहीं

Updated: Oct 25, 2020, 02:17 AM IST

Photo Courtesy: Firstpost
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नई दिल्ली। बिहार में चुनाव जीतने पर प्रदेश की जनता को मुफ्त कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने के वादे पर चौतरफा आलोचना झेल रही बीजेपी ने अपने वादे को पूरी तरह सही बताया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि कोरोना की मुफ्त वैक्सीन देने का वादा घोषणापत्र में रखना कहीं से भी गलत नहीं है। दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए निर्मला सीतारामन ने कहा, 'मुफ्त कोरोना वैक्सीन का वादा बीजेपी के घोषणा पत्र में शामिल है। एक दल इस बात की घोषणा कर सकता है कि सत्ता में आने के बाद वह क्या करना चाहता है। बीजेपी ने वही किया है। स्वास्थ्य व्यवस्था राज्य का विषय है और हमारी घोषणा पूरी तरह से सही है।' वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी का घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें पार्टी की सरकार बनने पर बिहार के लोगों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन देने की बात कही गई है।

क्या चुनाव हारने पर नहीं दी जाएगी वैक्सीन

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने  चुनाव जीतने पर मुफ्त वैक्सीन का वादा दोहराकर उन सवालों को एक बार फिर से प्रासंगिक बना दिया है, जो बीजेपी के इस चुनावी वादे को लेकर देश भर में उठ रहे हैं। पहला सवाल तो यही है कि क्या बीजेपी अगर बिहार में चुनाव नहीं जीतती है तो बिहारवासियों को मुफ्त वैक्सीन नहीं दी जाएगी? क्या इस वैश्विक महामारी से निपटना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? क्या इस मामले में पूरे देश में एक जैसी नीति नहीं होनी चाहिए? अगर हां, तो बीजेपी ने इसे बिहार में चुनाव जीतने का स्पेशल ऑफर क्यों बना दिया है?

क्या अधिकार केंद्र के होंगे और जिम्मेदारी राज्यों की

निर्मला सीतारामन ने यह भी कहा है कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाला विषय है, लिहाजा राज्य के चुनाव में उससे जुड़ा वादा करना गलत नहीं है। उनके इस बयान का आखिर मतलब क्या है? क्या इसका यह मतलब है कि कोरोना महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने वाली मोदी सरकार अब वैक्सीन की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर उसे राज्यों के मत्थे डालना चाहती है? स्वास्थ्य के राज्यों का विषय होने का यह ज्ञान उस वक्त कहां था, जब मोदी सरकार ने कोरोना महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए इमरजेंसी प्रावधानों के तहत राज्यों के तमाम अधिकार अपने हाथ में ले लिए थे और एक ही झटके में पूरे देश को लॉकडाउन में डाल दिया था? यानी बड़े फैसले करने का सारा अधिकार केंद्र सरकार अपने पास रखेगी और जब जिम्मेदारी निभाने की बारी आएगी तो उसे राज्यों पर डाल दिया जाएगा? क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन की मुफ्त कोरोनो वैक्सीन पर दी गई सफाई का यही मतलब है? 

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जो वैक्सीन बनी ही नहीं, उसे मुफ्त देने का वादा क्या एक और जुमला नहीं है

बीजेपी के घोषणा पत्र में मुफ्त वैक्सीन के वादे पर सबसे बड़ा सवाल तो यही उठ रहा है कि जब वैक्सीन बनी ही नहीं है तो उसे देने का वादा क्यों किया जा रहा है? कहीं यह बीजेपी का एक और चुनावी जुमला तो नहीं है? आपको याद दिला दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी सरकार बनने पर हर देशवासी के खाते में 15-15 लाख रुपये डालने का वादा किया था। लेकिन चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने दो टूक लफ्जों में कह दिया कि 15 लाख का वादा तो सिर्फ एक चुनावी जुमला था। 

कांग्रेस, आरजेडी और शिवसेना समेत तमाम विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी कोरोना महामारी का डर दिखाकर लोगों से वोट लेना चाहती। विपक्ष का मानना है कि मुफ्त वैक्सीन का झूठा वादा इसलिए किया जा रहा है। उनका कहना है कि सभी जरूरतमंदों को वैक्सीन मुहैया कराना वैसे भी सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है। ऐसे में इसे चुनावी हार-जीत से जोड़ना गलत है। यही वजह है कि विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग से भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।