इंजीनियरिंग में मैथ्स-फिजिक्स को अनिवार्य नहीं करना विनाशकारी, नीति आयोग के सदस्य ने किया विरोध
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने मैथ्स और फिजिक्स को इंजीनियरिंग का आधार बताया है, उन्होंने कहा है कि एआईसीटीई के फैसले से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आएगी

नई दिल्ली। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा इंजीनियरिंग के लिए मैथ्स, फिजिक्स का बैकग्राउंड अनिवार्य न करने के फैसले की लगातार आलोचनाएं हो रही हैं। इसी बीच नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने इस फैसले को विनाशकारी करार दिया है। रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख रहे सारस्वत ने चेतावनी दी है कि एआईसीटीई के इस फैसले से शिक्षा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी।
सारस्वत ने मैथ्स और फिजिक्स को तकनीकी शिक्षा का आधार बताया है। सारस्वत ने एआईसीटीई के फैसले पर आपत्ति जाहिर करते हुए हुए ट्वीट किया, 'इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए मैथेमेटिक्स और फिजिक्स को अनिवार्य नहीं बनाने के फैसले का बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। जबकि पहले ही देश की इंजीनियरिंग शिक्षा के स्टैंडर्ड में गिरावट आई है। इसपर दोबारा और विस्तृत मंच पर विचार करने की जरूरत है।'
Decision to make physics and mathematics education not essential for entrance in engineering stream will very adversely impact the already dwindling standards of engineering education in country .Need for a rethink and due diligence at wider platform @AICTE_INDIA @PMOIndia @MHRD
— Dr V K Saraswat (@DrVKSaraswat49) March 14, 2021
इस बारे में मीडिया से बात करते हुए सारस्वत ने कहा कि, 'यहां तक कि जैव चिकित्सा इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी जैसे इंजीनियरिंग विषय में भी गणित एवं भौतिक शास्त्र के ज्ञान की जरूरत होती है। लचीलापन लाने के नाम पर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के मानकों में ढील देना विनाशकारी होगा, क्योंकि तब विद्यार्थी इंजीनियरिंग शिक्षा के बुनियादी तत्वों को आत्मसात नहीं कर पाएंगे।'
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बीते हफ्ते ही एआईसीटीई ने कहा था कि, 'फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का अहम हिस्सा बने रहेंगे लेकिन राज्य सरकारों एवं संस्थानों के लिए यह अनिवार्य नहीं होगा कि इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश उन्हीं विद्यार्थियों को दें जिन्होंने 12वीं की कक्षा में इन विषयों की पढ़ाई की है। साथ ही बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश का विकल्प उन विद्यार्थियों के पास भी होगा जिन्होंने 12वीं कक्षा में इन विषयों की पढ़ाई नहीं की है।'
एआईसीटीई के इस फैसले का देशभर के टेक्निकल एक्सपर्ट्स विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में नीति आयोग के सदस्य सारस्वत ने भी अपनी चिंताओं को जाहिर किया। सारस्वत ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन को भी अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।