देश में बढ़ी गरीबों की तादाद, एक साल में 3.2 करोड़ लोग मिडिल क्लास से बाहर

अमेरिकी रिसर्च ग्रुप Pew के चेतावनी देने वाले आंकड़े, भारत की जीडीपी में 9.6 फ़ीसदी की गिरावट, कांग्रेस बोली- जनता गरीब हुई, अंबानी-अदाणी फले-फूले

Updated: Mar 20, 2021, 06:46 AM IST

Photo Courtesy: The Quint
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नई दिल्ली। दुनियाभर में कहर ढा रही कोरोना महामारी ने बीते एक साल में मिडिल क्लास पर बेहद बुरा असर डाला है। खासतौर पर भारतीय मध्य वर्ग के लिए तो यह दौर किसी बुरे सपने जैसा है। अमेरिकी रिसर्च ग्रुप प्यू (Pew) ने भारत की स्थिति को लेकर बेहद डरावने आंकड़े जारी किए हैं। प्यू रिसर्च सेंटर ने बताया है कि कोरोना काल के दौरान 3.2 करोड़ भारतीय अपनी आमदनी में गिरावट के चलते मिडिल क्लास बाहर हो गए। यानी लॉकडाउन की वजह से आए रोजगार संकट ने साल भर में 3 करोड़ 20 लाख लोगों को मिडिल क्लास से गरीब की श्रेणी में ला दिया है। 

देश में बढ़ रही गरीबी और उद्योगपतियों के बढ़ते पैसों को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'भारत के 3.2 करोड़ लोग हुए गरीब, 1 साल में जनता गरीब हुई, अडानी-अंबानी खूब फले-फूले। अच्छे दिन जारी हैं, ये जनता पर भारी हैं।'

दरअसल कांग्रेस के इस तंज़ की भी एक वजह है। लॉकडाउन के दौरान जब अधिकांश कंपनियां बंद पड़ गईं, काम ठप हो गए, करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं, उस दौरान पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले देश के दो उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी की कमाई और संपत्ति में हैरतअंगेज ढंग से बढ़ोतरी हुई है। एक साल के भीतर संपत्ति में हुई बढ़ोतरी के मामले में तो अदाणी ने दुनियाभर के सभी अरबपतियों को पीछे छोड़ दिया है।

जबकि इसी दौरान देश के मध्य वर्ग समेत तमाम आम लोगों की आर्थिक हालत लगातार कमज़ोर हुई है। प्यू सेंटर द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले एक साल में 10 से 20 डॉलर (720 से 1450 रुपए) प्रतिदिन की कमाई करने वाले 3.2 करोड़ लोग मध्यम आय वर्ग से बाहर निकलकर निम्न आय वर्ग में शामिल हो गए हैं। इसकी वजह कोरोना महामारी की वजह से आई दुश्वारियां और देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट है। रिपोर्ट के मुताबिक कोविड से पहले मध्यम वर्ग की संख्या 9.9 करोड़ थी जो अब 6.6 करोड़ रह गई है। इस हिसाब इस वर्ग के लोगों की संख्या बीते एक साल में एक तिहाई घटी है।

प्यू सेंटर के अनुमान के मुताबिक कोविड-19 के चलते भारत में आई मंदी ने रोज दो डॉलर यानी लगभग डेढ़ सौ रुपए या कम कमाने वाले निम्न आय वर्ग के लोगों का आंकड़ा बढ़कर 7.5 करोड़ के पार पहुंच गया है। अगर भारत की तुलना चीन से करें, तो वहां लोगों के रहन-सहन के स्तर में गिरावट यहां से कम रही है। चीन में एक करोड़ लोग ही मिडिल इनकम ग्रुप से बाहर हुए हैं, जो भारत के एक तिहाई से भी कम है। चीन में गरीबी का स्तर भी जस का तस रहा है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि कोरोना के कारण भारत ग्रोथ में पहले ही पीछे हो गया था, अब ये पिछड़ापन और तेजी से बढ़ सकता है।

ग्रोथ में बुरी तरह से पिछड़ा भारत

पिछले साल जनवरी में वर्ल्ड बैंक ने चीन में 5.9% और भारत में 5.8% की दर से इकनॉमिक ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया था, जो लगभग बराबर है। लेकिन एक साल में हालात काफी बदल चुके हैं। इस साल जनवरी में विश्व बैंक ने जो अनुमान जाहिर किए हैं, उनके मुताबिक 2020 के भारत की इकनॉमिक ग्रोथ माइनस 9.6 फीसदी और चीन की ग्रोथ 2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की ग्रोथ रेट सबसे खराब है। 

बुरी खबर यह है कि कोरोना इंफेक्शन के मामले में देश की स्थिति में आया सुधार भी अब खतरे में लग रहा है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने की आशंका जाहिर की जा रही है। भारत लगभग 1.147 करोड़ संक्रमितों के साथ अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। जानकारों के मुताबिक इसके चलते नए वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पिछले अनुमानों के मुकाबले और कम रहने का खतरा पैदा हो गया है।