चुनी सरकार को ही अफ़सरों की ट्रांसफ़र-पोस्टिंग का हक, LG दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे: सुप्रीम कोर्ट

LG नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस, सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ी राहत, कहा- अफसरों को चुनी हुई सरकार कंट्रोल करेगी, न की एलजी

Updated: May 11, 2023, 01:33 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में मुख्यमंत्री बनाम उपराज्यपाल के मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए। यानी उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस होगा। केंद्र और राज्य सरकार के बीच शक्तियों को लेकर चल रही तनातनी के बीच गुरुवार को यह फैसला आया है। 

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्‍ली में कानून व्यवस्था, पब्लिक आर्डर, जमीन से जुड़े मुद्दे और पुलिस पर केंद्र का अधिकार है। बाकी मुद्दों पर प्रशासनिक अधिकार दिल्ली सरकार के पास। एलजी, दिल्ली सरकार की सलाह पर सहायता के लिए बाध्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा सभी विधायी शक्तियों को अपने हाथ में लेने से संघीय प्रणाली समाप्त हो जाती है। संघवाद के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए। केंद्र सभी विधायी, नियुक्ति शक्तियों को अपने हाथ में नहीं ले सकता।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि चुनी हुई सरकार के पास अफसरों पर नियंत्रण की ताकत ना हो, अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या फिर उनके निर्देशों का पालन ना करें तो जवाबदेही का सिद्धांत बेमानी हो जाएगा। कोर्ट ने आगे कहा कि दिल्ली भले ही पूर्ण राज्य ना हो, लेकिन इसके पास कानून बनाने के अधिकार हैं। यह निश्चित करना होगा कि राज्य का शासन केंद्र के हाथ में ना चला जाए। हम सभी जज इस बात से सहमत हैं कि ऐसा आगे कभी ना हो।

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न्यायालय ने अपने फैसले में तर्क देते हुए कहा कि 
अगर चुनी हुई सरकार अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकती तो वो लोगों के लिए सामूहिक दायित्व का निर्वाह कैसे करेगी? अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार है। चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास ये अधिकार नही रहता तो फिर जवाबदेही की ट्रिपल चेन पूरी नही होती।

दरअसल, ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव चल रहा था। दिल्ली सरकार का कहना है कि इस मामले में उपराज्यपाल हस्तक्षेप ना करें। और इसी बात को लेकर दिल्ली सरकार ने याचिका लगाई थी।