खराब पीपीई किट से स्कीन इंफेक्शन का खतरा
ग्रेड 3 की पीपीई किट का प्रयोग करने वाले 88.5 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ को त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं.

डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कोरोना वायरस मरीजों का इलाज करना आसान नहीं है. एक तरफ उनके पास पीपीई किट की कमी है और दूसरी तरफ लगातार पीपीई किट पहनकर काम करने से त्वचा संबंधी संक्रमण हो रहा है. हाल ही में चीन के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर एक रिसर्च पेश की है. इस रिसर्च में 161 अस्पतालों के 4,308 मेडिक स्टाफ को शामिल किया गया.
रिसर्च में शामिल मेडिकल स्टाफ ने पीपीई किट पहनकर रोज 8 से 12 घंटे काम किया. लगभग 43 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों ने पीपीई किट की वजह से अपनी त्वजा में गंभीर संक्रमण महसूस किया. इस आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि पीपीई पहनने से मेडिकल स्टाफ को हो रहा त्वचा संक्रमण गंभीर है और ना तो इसे गंभीरता से लिया जा रहा है और ना ही इसका इलाज किया जा रहा है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि पीपीई किट से मुख्य रूप से तीन तरीके के त्वचा संक्रण हो रहे हैं और बहुत सारे फैक्टर जैसे लिंग और आयु संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहे हैं. महिला मेडिकल स्टाफ के मुकाबले पुरुष मेडिकल स्टाफ को पीपीई से त्वचा संबंधी बीमारियों अधिक हो रही हैं. जहां 40.5 फीसदी महिला मेडिकल स्टाफ को त्वचा संबंधी परेशानियां हो रही हैं वहीं पुरुष मेडिकल स्टाफ के लिए यह हिस्सा 59.7 प्रतिशत है.
इसी तरह 35 साल से अधिक उम्र वाले 46.3 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ को त्वचा संबंधी संक्रमण हो रहा है और 35 साल से कम वाले 41.2 प्रतिशत स्टाफ को ऐसा हो रहा है. ग्रेड 3 की पीपीई किट का प्रयोग करने वाले 88.5 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ को त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं और ग्रेड 2 की पीपीई किट का प्रयोग करने वाले मेडिकल स्टाफ के मामले में 21 प्रतिशत को यह संक्रमण हो रहा है.
इसी तरह चार घंटे से अधिक समय तक पीपीई किट पहनकर काम करने वाले 47.3 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को त्वचा संबंधी संक्रमण हुआ, वहीं चार घंटे से कम समय तक पीपीई किट पहनकर काम करने वाले 18.7 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ को यह संक्रमण हुआ.