Rahul Gandhi: अंतरराष्ट्रीय वेबिनार पर पाबंदी गलत, छात्रों-अध्यापकों पर भरोसा क्यों नहीं करती सरकार
केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के लिए पहले से मंज़ूरी लेना अनिवार्य कर दिया है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में देश के 'आंतरिक मसलों' की चर्चा पर रोक भी लगा दी है

नयी दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय वेबिनार पर लगाई गई पाबंदियों का राहुल गांधी ने कड़ा विरोध किया है। राहुल ने इन पाबंदियों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की अंतरराष्ट्रीय वेबिनार संबंधी नई गाइडलाइन्स पर सवाल खड़ा करते हुए सवाल किया है कि आखिर सरकार को छात्रों और शिक्षा जगत से जुड़े जानकारों पर भरोसा क्यों नहीं है?
राहुल गांधी ने छात्रों से भी कहा है कि उन्हें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि सरकार उन्हें बाहरी दुनिया से बात करने से क्यों रोकना चाहती है और उन्हें शक की नज़र से क्यों देखा जा रहा है। राहुल इस बारे में ट्विटर के जरिए टिप्पणी करते हुए छात्रों से कहा है, 'छात्रों और अध्यापकों, कृपया खुद से यह सवाल पूछें कि अब आपको बाहरी दुनिया से बात करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है? भारत की सरकार आप पर भरोसा क्यों नहीं करती?'
Students & academics,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 21, 2021
Please ask yourself why you are no longer allowed to speak to the outside world.
Why doesn’t GOI trust you? pic.twitter.com/QzRX23sMzO
दरअसल पिछले महीने शिक्षा मंत्रालय ने देश भर की तमाम यूनिवर्सिटीज के लिए कुछ नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। इन गाइडलाइन्स के मुताबिक शैक्षिक संस्थानों को कोई भी अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं, सरकारी सहायता लेने वाला कोई भी संस्थान उन विषयों पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार नहीं कर सकेगा, जो सरकार की नज़र में संवेदनशील और देश के आंतरिक मामलों से जुड़े हुए होंगे।
15 जनवरी को जारी किए गए इन दिशानिर्देशों के मुताबिक विश्वविद्यालयों को ऐसे मुद्दों पर वेबिनार आयोजित करने से पहले विदेश मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। शिक्षा मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देश में जिन विषयों को इस तरह की पाबंदी के तहत रखा है, उनमें सीमाओं से जुड़े मसले, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख या उत्तर पूर्व के राज्यों की स्थिति जैसे मसले शामिल हैं। इनके अलावा भी जो मुद्दे सरकार की नज़र में भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित होंगे, उन पर वेबिनार या वर्चुअल सेमिनार नहीं किया जा सकेगा।
सरकार की तरफ से लगाई गई इन पाबंदियों को लेकर एकैडमिक हलकों में काफी नाराज़गी है। कुछ दिनों पहले देश के प्रमुख वैज्ञानिकों ने शिक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर वेबिनार पर लगाई गई इन पाबंदियों को वापस लिए जाने की मांग की है। इंडियन नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज़ और इंडियन एकैडमी ऑफ साइंसेज़ ने इस बारे में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को अलग-अलग चिट्ठी लिखी है। इन चिट्ठियों में वैज्ञानिकों ने कहा है कि वर्चुअल डिस्कशन या वेबिनार पर इस तरह की पाबंदियां देश के शोधकर्ताओं के हित में नहीं हैं। उनका कहना है कि देश की सुरक्षा का स्थान सबसे ऊपर है, लेकिन नई गाइडलाइंस में भारत के आंतरिक मामलों को परिभाषिक किए बिना जिस तरह की व्यापक पाबंदी लगाई गई है, वो देश के वैज्ञानिक विकास में बड़ी बाधा साबित होगी। हर वेबिनार के लिए पहले से मंजूरी लेने का नियम ज्ञान के आदान-प्रदान में बड़ी बाधा साबित हो सकता है।