RBI गवर्नर शक्तिकांत दास कोरोना संक्रमित, ट्वीट कर दी जानकारी

RBI Governor: आइसोलेशन में रहकर काम करेंगे शक्तिकांत दास, सुचारू रूप से चलता रहेगा रिजर्व बैंक का काम

Updated: Oct 26, 2020, 05:07 PM IST

Photo Courtesy: ET
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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास कोविड संक्रमित हो गए हैं। दास ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि वे आइसोलेशन में रहकर अपना काम करते रहेंगे। गवर्नर ने यह भरोसा भी दिलाया है कि उनके संक्रमित होने का आरबीआई के कामकाज पर असर नहीं पड़ेगा और रिज़र्व बैंक का काम सुचारू रूप से चलता रहेगा।  

शक्तिकांत दास ने रविवार शाम ट्वीट कर कहा, 'मैं कोविड-19 से संक्रमित पाया गया हूं। मुझमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नहीं हैं और मैं बिल्कुल ठीक महसूस कर रहा हूं।' शक्तिकांत दास की उम्र 63 साल है। 

दास ने बताया है कि इस दौरान वह अपना काम करते रहेंगे। उन्होंने पिछले कुछ दिनों में अपने संपर्क में आए सभी लोगों को सचेत कर दिया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'मैं आइसोलेशन से ही अपना काम जारी रखूंगा। आरबीआई में काम सामान्य रूप से चलेगा। मैं सभी डिप्टी गवर्नर्स के संपर्क में हूं। सरकारी व अन्य अधिकारी टेलीफोन या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुझसे संपर्क कर सकते हैं।' बता दें कि रिजर्व बैंक में चार डिप्टी गवर्नर हैं।

इकॉनमी में रिजर्व बैंक की अहमियत क्या है

भारतीय रिजर्व बैंक न सिर्फ देश की पूरी बैंकिंग व्यवस्था को रेगुलेट करने और उस पर निगरानी रखने का काम करता है, बल्कि देश की मॉनिटरी पॉलिसी यानी मौद्रिक नीति बनाने और उस पर अमल करवाने का काम भी उसी का है। इस लिहाज से रिजर्व बैंक हमारी अर्थव्यवस्था को ठीक से चलाने, उसे आगे बढ़ाने में काफी अहम योगदान निभाता है। 

दरअसल, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मैनेज करने का काम मुख्य तौर पर दो तरह से होता है। एक तो सरकारी खजाने के खर्च और आमदनी को सही ढंग से मैनेज करके, जिसकी जिम्मेदारी मुख्य तौर पर केंद्र सरकार की होती है। यह काम सरकार अपने सालाना बजट और उसमें पेश टैक्स प्रावधानों, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट नीति जैसे उपायों से करती है। सरकारें इस मकसद से जो नीतियां बनाती हैं, उन्हें फिस्कल यानी राजकोषीय नीति कहते हैं। आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब है सरकारी खजाने से जुड़ी नीतियां।

इकॉनमी का दूसरा अहम पहलू है उसकी मॉनेटरी यानी मौद्रिक व्यवस्था। यह व्यवस्था करेंसी की छपाई और सप्लाई के काम से लेकर कर्ज के लेन-देन से जुड़े नियमों और ब्याज दरों को रेगुलेट करके संचालित की जाती है। आम तौर पर यह काम किसी भी देश के केंद्रीय बैंक का होता है, जिसे अपने देश में भारतीय रिज़र्व बैंक कहते हैं। अमेरिका में यह काम करने वाले केंद्रीय बैंक का नाम फेडरल रिज़र्व है। देश के कॉमर्शियल बैंक भी इस सिस्टम को चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो केंद्रीय बैंक यानी हमारे देश में भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी में काम करते हैं। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से चलाने के लिए फिस्कल यानी सरकारी खजाने की नीति और मॉनिटरी यानी केंद्रीय बैंक की नीति का सही ढंग और बेहतर तालमेल के साथ काम करना ज़रूरी है।