अशोक स्तंभ की डिजाइन पर मचा बवाल, कांग्रेस बोली- राष्ट्रीय चिन्ह के साथ छेड़छाड़ करना जुर्म

भवन के ऊपर स्थापित अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप से अलग होने और शांत सौम्य शेरों की जगह गुस्सैल शेर प्रदर्शित करने पर चौतरफा घिरी केंद्र सरकार, कांग्रेस प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने कहा- इस जुर्म के लिए 6 महीने से दो साल तक सजा का प्रावधान, हम दुनियाभर में मजाक के पात्र बनेंगे

Updated: Jul 13, 2022, 01:00 PM IST

नई दिल्ली। नए संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के ऊपर स्थापित राष्ट्रीय चिह्न की प्रतिकृति को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है कि राष्ट्रीय चिन्ह के साथ छेड़छाड़ करना कानूनन जुर्म है। इस जुर्म के लिए 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।

दरअसल, पीएम मोदी ने नए संसद भवन में विशालकाय अशोक स्तंभ का अनावरण सोमवार को जितने जोरदार अंदाज में किया गया, उस पर विवाद भी अब उतना ही जोरदार देखने को मिल रहा है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इतिहास से छेड़छाड़ की गई है और अशोक स्तंभ के शेर को बदला गया है। विपक्ष का आरोप है कि हमारे राष्ट्रीय चिन्ह में जो शेर हैं वो शांत हैं और उनका मुंह बंद है जबकि नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ का शेर आक्रामक और उसका मुंह खुला है।

यह भी पढ़ें: लंका में इमरजेंसी: PM हाउस पर जनता का कब्जा, सेना ने भी हथियार डाल दिए, भारत से दखल की मांग

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सारनाथ में अशोक स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अपमान है। कांग्रेस के प्रवक्ता गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा कि राष्ट्रीय चिन्ह को लेकर बक़ायदा क़ानून है, उसमें चित्रण दिया गया है कि अशोक की लाट का क्या डिज़ाइन होगा। इसे न मानने वालों पर छः महीने से दो साल की सजा का प्रावधान है। सिर्फ़ इसलिए कि एक ग़लत डिज़ाइन मोदी सरकार के दौरान में बना, मीडिया की मज़बूरी नहीं होना चाहिये। ग़लत ग़लत ही है।'

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसे पूर्वजों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का प्रतीक बताया। टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने भी इसका कड़े शब्दों में विरोध किया है। इन आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी के प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि ऐसे आरोप इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत खुद का संसद भवन बना रहा है, जो 150 साल पहले अंग्रेजों के बनाए संसद भवन की जगह लेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोगों को गुमराह कर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस पूरे विवाद पर सरकार का पक्ष रखते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह अनुपात और दृष्टिकोण बोध का मामला है। कहा जाता है कि सौंदर्य आपकी आंखों में होता है। शांति और गुस्सा के साथ भी यही है। सारनाथ का अशोक स्तंभ 1.6 मीटर ऊंचा है और संसद की नई इमारत पर जिस राष्ट्रीय चिह्न को लगाया गया है, वह 6.5 मीटर लंबा है।

ओरिजिनल अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ के म्यूजियम में रखा है। माना जाता है कि इसे 250 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। 1900 में जर्मनी के सिविल इंजीनियर फ्रेडरिक ऑस्कर ओएर्टेल ने सारनाथ के आसपास खुदाई शुरू की। खुदाई करने पर पता चला था कि इस अशोक स्तंभ को 8 फीट चौड़े और 6 फीट लंबे पत्थर के एक बड़े से आकार के चबूतरे पर स्थापित किया गया था। नए संसद भवन की छत पर जो अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है, उसकी ऊंचाई 6.5 मीटर यानी करीब 21 फीट है। ये जमीन से 33 मीटर यानी 108 फीट ऊपर है।