वानखेड़े का निकाह पढ़ाने वाले काज़ी ने किया खुलासा, झूठ बोल रहा है परिवार, सभी मुस्लिम हैं

काज़ी मौलाना मुजम्मिल अहमद ने बताया है कि निकाह के वक्त पूरा वानखेड़े परिवार मुस्लिम था, और समीर शबाना का निकाह भी मुस्लिम रीति रिवाज़ से पढ़ाया गया था

Updated: Oct 27, 2021, 01:35 PM IST

Photo Courtesy : News 24
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मुंबई। समीर वानखेड़े के निकाहनामा को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। वानखेड़े के पिता द्वारा निकाहनामा को असली बताए जाने के बाद अब समीर वानखेड़े का निकाह पढ़ाने वाले काज़ी मौलाना मुजम्मिल अहमद का बयान सामने आ गया है। काज़ी ने कहा है कि वानखेड़े परिवार झूठ बोल रहा है, निकाह के वक्त पूरा वानखेड़े परिवार मुस्लिम था। 

काज़ी ने एक हिंदी न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि 2006 में समीर और शबाना का निकाह मैंने ही पढ़ाया था। काज़ी ने कहा कि निकाह के वक्त दोनों लड़का और लड़की मुसलमान थे। इतना ही नहीं काज़ी ने यह भी कहा कि लड़के का पिता दाऊद भी मुसलमान था। 

काज़ी ने कहा कि लड़का और लड़की दोनों मुसलमान थे तभी मैंने निकाह पढ़ाया था। शरियत के मुताबिक दोनों लड़का और लड़की को मुसलमान होना अनिवार्य है। अगर वे दोनों मुसलमान नहीं होते तो मैं दीन के खिलाफ जा कर निकाह नहीं पढ़ा सकता था। एक काज़ी ऐसा गलत काम नहीं कर सकता।काज़ी ने समीर वानखेड़े की पूर्व पत्नी शबाना के पिता ज़ाहिद कुरैशी का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्होंने खुद एक मुस्लिम परिवार में ही अपनी लड़की का रिश्ता तय किया था। इसलिए समीर वानखेड़े का परिवार सरासर झूठ बोल रहा है।

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समीर वानखेड़े के पिता द्वारा उर्दू न जानने की बात पर काज़ी ने कहा कि उर्दू तो बहुत से मुसलमानों को नहीं आती। उर्दू नहीं आती तो वहां दाऊद नाम कैसे आया, दस्तखत कैसे आया? और सबसे बड़ी बात बेटे का रिश्ता कैसे कायम हो गया? अगर मुसलमान न होते तो मुसलमान के यहां शादी कैसे करते? हज़ार दो हज़ार लोगों का मजमा वहां मौजूद था। 

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इससे पहले समीर वानखेड़े के पिता द्यानदेव ने निकाहनामा को असली करार दिया था। लेकिन उनके परिवार में सिर्फ उनकी पत्नी मुस्लिम थी। वे खुद और उनके बेटे-बेटी हिंदू हैं। वहीं समीर वानखेड़े की पत्नी ने निकाहनामा पर समीर वानखेड़े के नाम में दाऊद लिखे जाने को लेकर अजीबोगरीब दलील देते हुए कहा कि समीर वानखेड़े की मां उनके पिता को प्यार से दाऊद बुलाती थीं, इसलिए उन्होंने दाऊद लिख दिया होगा।