JEE NEET Exams 2020: छात्रों की सहमति से हो उनके भविष्य का निर्णय

Speak Up For Student Safety: नीट और जेईई एग्जाम को लेकर कांग्रेस का स्पीक अप फ़ॉर स्टूडेंट्स सेफ्टी कैम्पेन

Updated: Aug 29, 2020, 07:29 AM IST

Photo Courtsey : Deccan Chronical
Photo Courtsey : Deccan Chronical

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना संकट काल के दौरान नीट और जेईई एग्जाम का आयोजन चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र के इस फैसले के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ रखा है। शुक्रवार को पार्टी ने 'स्पीक अप फ़ॉर स्टूडेंट्स सेफ्टी' हैशटैग के साथ परीक्षाओं को रद्द करने की मांग को लेकर ऑनलाइन विरोध किया। इस अभियान से जुड़कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर अपनी बातें रखी।

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से सोनिया का वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा, 'छात्र ही इस देश के भविष्य हैं। एक बेहतर भारत निर्माण के लिए हम उनपर निर्भर हैं। इसलिए यदि उनके भविष्य से संबंधी कोई भी निर्णय लिया जाना है तो यह उनकी सहमति से लिया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि सरकार छात्रों की बात सुनेगी।'

छात्रों पर दबाव क्यों डाल रही है सरकार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस अभियान से जुड़कर पूछा है कि सरकार छात्रों पर दबाव क्यों डाल रही है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा, 'आप (छात्र) देश का भविष्य हो और आप ही इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाओगे। हर कोई समझ रहा है कि पिछले 3-4 महीनों से कोरोना को कैसे हैंडल किया जा रहा है। मैं एक बात नहीं समझ पा रहा हूं कि इसके लिए छात्र जिम्मेदार क्यों हैं और यह दर्द उनके ऊपर क्यों थोपा जा रहा है? 

 

छात्रों को कुछ हुआ तो जवाबदारी किसकी

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मामले पर सरकार को अपना जिद छोड़ने को कहा है। उन्होंने पूछा है कि इस संकट के दौर में एग्जाम के कारण अगर छात्रों को कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी और जवाबदारी किसकी होगी? उन्होंने वीडियो जारी कर कहा, 'न्यायालय और एचआरडी मंत्रालय से मैं कहना चाहता हूं कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। बच्चों का भविष्य हमें सुरक्षित रखना है। मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है की परीक्षा को 3 से 6 महीने और बढ़ाया जाए और जब हालात सामान्य हो जाए तब परीक्षा का आयोजन किया जाए।'

परीक्षा कराना सही नहीं

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकार के इस फैसले को लेकर कड़ा विरोध जताया है। सीएम बघेल ने पूछा है कि जब मई से तिथि बढ़ाकर सितंबर किया जा सकता है तो सितंबर से बढ़ाकर नवंबर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, 'जब परीक्षाएं मई में होनी थी तब केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना है। अब अगस्त के आखिर में जब आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं तब लाखों छात्रों को परीक्षा के लिए सेंटर पर बुलाया जा रहा है। इस तरह से परीक्षाएं कराना कहां तक औचित्यपूर्ण है?