Kerala: केरल में लुप्तप्राय पेड़ों की प्रजातियों को 184 साल बाद फिर से खोजने में मिली सफलता

केरल के जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने खोजा बेहद दुर्लभ पेड़

Updated: Oct 06, 2020, 07:16 AM IST

Photo Courtesy: Indian express
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केरल के जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (JNTBGRI) के शोधकर्ताओं ने 184 साल बाद एक लुप्तप्राय पेड़ की प्रजाति को फिर से खोज लिया है। इस पेड़ की प्रजाति 184 साल पहले पाई जाती थी। यह पेड़ कोल्लम जिले के परवूर में कोन्याइल अयिरविल्ली शिव मंदिर के पास पाया गया है।

 जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस पेड़ की पहचान पश्चिमी घाट की एक लुप्तप्राय  प्रजाति Madhuca diplostemon के रूप में की है, जो Sapotaceae फैमिली से संबंधित है। इसका नमूना पहली बार 1835 में एकत्र किया गया था। इस फैमिली के फूलों के पौधे की एक प्रजाति Madhuca diplostemon, को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज ने लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया है।

Madhuca diplostemon का एक दिलचस्प इतिहास भी है। साल 1835 में ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्जन-वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट वाइट ने तीन सैंपल जमा किए थे। 1848 में उन्होंने आइकोन प्लांटारुम इंडियो ओरिएंटलिस में डायोस्पायर ओबोवाटा के रूप में वर्णित किया था।

इसमें खास बात यह है कि अपने मुख्य कलेक्शन के बाद से, Madhuca diplostemon के सेंपल्स को फिर से कभी भी कहीं से भी एकत्रित नहीं किया। जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट अपने प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम के जरिए इस प्रजाति के पूर्व संरक्षण का कार्य करने की योजना बना रहा है। 

जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर प्रकाश कुमार और उनके सहयोगी शोधकर्ताओं शैलजा कुमारी, संतोष कुमार, श्रीकला एके और पार्थिपन बी की टीम ने इंडियन एसोसिएशन फॉर एंजियोस्पर्म टैक्सोनॉमी द्वारा प्रकाशित एक मैगजीन RHEEDEA के नवीनतम अंक में इसके बारे में लिखा है।

प्रकाश कुमार का कहना है कि यह पेड़ अपनी प्रजाति का एकमात्र ज्ञात पेड़ है। पहले यह बहुतायात में पाया जाता रहा होगा। जिन्हें अनजाने में मंदिर विस्तार के लिए हटा दिया गया होगा।

 

उनका कहना है कि “हमने अपने प्रारंभिक सर्वेक्षणों के दौरान इस पेड़ पर एक नाम बोर्ड देखा, जिसे मधुका नेरीफोलिया के रूप में दर्शाया गया है। 

इस प्रजाति को पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्जन-वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट वाइट ने 1835 में कोल्लम से अपने कलेक्शन के आधार पर वर्णित किया था। जिसमें अपरिपक्व फूलों की कलियों के साथ तीन नमूने शामिल हैं।

Madhuca diplostemon पेड़ करीब 4-मीटर लंबा है और इसकी छाल उखड़ी हुई हैं।