Supreme Court: शादी का वादा अगर शुरू से झूठा नहीं, तो आपसी संबंध को रेप नहीं माना जाएगा

डेढ़ वर्ष तक रिश्ता रखने के बाद युवक ने शादी से इंकार किया तो महिला ने लगाया रेप का आरोप, कोर्ट ने आरोप को ख़ारिज करते हुए कहा, इस मामले में शुरुआत से शादी का झूठा वादा करके नहीं बनाए गए थे संबंध

Updated: Mar 07, 2021, 09:15 AM IST

Photo Courtesy : MoneyControl
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति, महिला से शुरू से ही शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाता है, तभी ये मामला रेप का माना जाएगा। वरना आपसी सहमति से बने रिश्ते को बाद में सिर्फ शादी से इनकार करने के आधार पर रेप नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने ऐसे मामलों में किस तरह के संबंध को रेप माना जा सकता है, इस बारे में कुछ दिशानिर्देश भी तय कर दिए हैं। 

कोर्ट ने साफ किया है कि ऐसे मामलों में रेप तभी माना जाएगा जब यह साफ हो कि व्यक्ति ने सिर्फ संबंध बनाने के लिए महिला को शादी करने का झूठा वादा किया था। लेकिन अगर संबंध बनाते वक्त उसका इरादा शादी करने का हो और बाद में किन्हीं कारणों से वह अपना इरादा बदल दे तो इसे रेप नहीं माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए रेप के एक आरोपी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट निरस्त करने का आदेश दिया है। यह केस उत्तर प्रदेश के मथुरा का है। आरोपी सोनू ने अपनी याचिका में एफआईआर और चार्जशीट निरस्त करने का आग्रह किया था। सोनू की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि एफआईआर और चार्जशीट को पढ़ने भर से तथा साथ में पीड़ित के बयान से साफ नहीं है कि जब दोनों के बीच संबंध बना तब उसकी ओर से शादी करने का कोई इरादा नहीं था। न ही यह कहा जा सकता है कि शादी करने का झूठा वादा किया गया था।

पीठ ने फैसले में कहा कि अभियुक्त और पीड़ित के बीच रिश्ता आपसी सहमति का था। दोनों इस रिश्ते में करीब डेढ़ वर्ष से थे। बाद में जब अभियुक्त ने शादी करने से मना किया तो उसके आधार पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। मामले में शादी करने से इनकार बाद में किया गया है, जिसके आधार पर एफआईआर हुई है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में रेप का कोई आरोप नहीं बनता है। क्योंकि यह कहीं नहीं साबित हुआ कि शादी का झूठा वादा करके सबंध बनाए गए थे। पीड़िता का अरोप है कि अभियुक्त के परिजन पहले शादी के लिए राजी थे, लेकिन अब मना कर रहे हैं। इससे लगता है कि उसकी एकमात्र शिकायत सोनू का उससे विवाह नहीं करना है।

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इस मामले में खंडपीठ ने पवार बनाम महाराष्ट्र केस का जिक्र करते हुए कहा कि हम पहले ही तय कर चुके हैं कि धारा 375 के तहत महिला की सहमति कब और कैसे होगी यह स्थापित करने के लिए दो बातें सिद्ध करनी होंगी। पहला यह कि शादी का वादा झूठा हो, बुरे इरादे से दिया गया हो और वादा करते समय ही उसे पूरा करने का अभियुक्त का कोई इरादा न हो। दूसरी जरूरत बात यह है कि वादा हाल में किया गया हो या महिला ने संबंध बनाने का फैसला सीधे तौर पर इस वादे के आधार पर ही किया हो।