आज लोगों में धैर्य की कमी है, सच झूठी खबरों का शिकार हो गया है: सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर बोले CJI

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया पर लोगों के बढ़ते भरोसे को लेकर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि आज के युग में लोगों की सहनशीलता कम हो गई है।

Updated: Mar 04, 2023, 09:15 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अमेरिकन बार एसोसिएशन इंडिया कॉन्फ्रेंस 2023 को संबोधित किया। यहां उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के युग में सच झूठी खबरों का शिकार हो गया है। उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे युग में रहते हैं जहां लोगों के पास धैर्य की कमी है, उनकी सहनशीलता कम हो गई है। सोशल मीडिया के जमाने में अगर उन्हें आपकी बात पसंद नहीं आती है तो वो आपको ट्रोल करना शुरू कर देते हैं।"

CJI चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि, 'संविधान वैश्विक प्रथाओं को आत्मसात करने वाला एक परिवर्तनकारी दस्तावेज था, लेकिन अब हमारी दिन-प्रतिदिन की जीवन शैली महासागरों में होने वाली घटनाओं से प्रभावित होती है। कानून की वजह से ही आज लोगों में भरोसा है।' एबीए को संबोधित करते हुए सीजेआई ने वैश्विक मुद्दों पर भी बात की। उन्होंने कहा, 'वैश्वीकरण ने अपने स्वयं के असंतोष का नेतृत्व किया है। दुनिया भर में मंदी के कई कारण अनुभव किए जा रहे हैं... वैश्वीकरण विरोधी भावना में वृद्धि हुई है। कहीं न कहीं, इसकी शुरुआत 2001 के आतंकवादी हमलों से हुई है।'

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि COVID-19 अभी तक एक और वैश्विक मंदी थी, लेकिन यह अंधेरे में एक अवसर के रूप में उभरी। उन्होंने कहा, 'वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से न्याय का विकेंद्रीकरण हुआ है और इसने न्याय तक लोगों की पहुंच को बढ़ाया है। सुप्रीम कोर्ट सिर्फ तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है, बल्कि छोटे से छोटे गांव का सुप्रीम कोर्ट है।' जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर उन्‍होंने कहा कि क्‍लाइमेट चेंज कोई अभिजात्य धारणा नहीं है और तटीय राज्यों के देशों के लिए एक कठोर वास्तविकता है।

CJI ने आगे कहा, 'हमारे यहां ये सवाल अकसर पूछा जाता है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जितनी महिला जजों की संख्या होनी चाहिए उतनी हैं नहीं। ये इस पर निर्भर करता है कि इस पेशे में कितनी महिलाएं आती हैं? बार में कितनी महिला वकील रजिस्ट्रेशन कराती हैं। लड़कियों की शिक्षा पर खासकर मध्य वर्ग परिवारों में इस पर ध्यान बढ़ाया जा रहा है।' उन्‍होंने कहा कि कई राज्यों में अब निचली जिला न्यायपालिका में 50-60% जज महिलाएं हैं। यह हम पर है कि हम उन लोगों के लिए सम्मान की स्थिति पैदा करें जिन्हें हम पेशे में भर्ती करते हैं।