Vijaya Raje Scindia Centenary: राजमाता सिंधिया की 100 वीं जयंती पर पीएम मोदी ने जारी किया सिक्का
Vijaya Raje Scindia: कांग्रेस नेता के के मिश्रा ने कहा, राजमाता जी की वसीयत सार्वजनिक हो, कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे

नई दिल्ली। जनसंघ की नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया की आज 100 वीं जयंती है। इस अवसर पर केंद्र सरकार ने उनके नाम पर 100 रुपए का सिक्का जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्चुअल कार्यक्रम के ज़रिए राजमाता सिंधिया के नाम पर 100 रुपए का सिक्का जारी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयाराजे सिंधिया को याद करते हुए कहा कि एकता यात्रा के दौरान राजमाता ने मेरा परिचय गुजरात के युवा नेता नरेंद्र के तौर पर कराया था। आज उनका वही नरेंद्र प्रधानसेवक बनकर राजमाता की स्मृतियों के साथ आज आपके सामने खड़ा है। प्रधानमंत्री ने राजमाता को याद कर उन्हें नारी शक्ति के सबसे बड़े उदाहरण के तौर पर बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजमाता के लिए जनसेवा ही सर्वोपरि थी। उन्होंने कहा कि जनसेवा के लिए बहुत बड़े परिवार में पैदा होने की ज़रूरत नहीं है। यह सीख हमें राजमाता के जीवन से ही मिली है।
राजमाता सिंधिया जी के सम्मानार्थ आज PM 100 रु.का सिक्का जारी कर रहे हैं,अचानक यह प्रेम!यह भी देखना होगा कि अंतिम सांस तक अस्पताल में उन्हें एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ,इसके दोषी कौन थे? राजमाता जी की वसीयत सार्वजनिक हो,कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे.
— KK Mishra (@KKMishraINC) October 12, 2020
राजमाता को अंतिम समय में दो बूँद पानी तक नसीब नहीं हुआ, इसके दोषी कौन थे ?
उधर कांग्रेस नेता केके मिश्रा राजमाता सिंधिया की जयंती पर केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा सौ रुपए के सिक्के जारी किए जाने पर तंज कसते हुए कहा है कि 'राजमाता सिंधिया जी के सम्मानार्थ आज PM 100 रु.का सिक्का जारी कर रहे हैं,अचानक यह प्रेम! यह भी देखना होगा कि अंतिम सांस तक अस्पताल में उन्हें एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ,इसके दोषी कौन थे? राजमाता जी की वसीयत सार्वजनिक हो, कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।'
बता दें कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया दिवंगत कांग्रेसी नेता माधवराव सिंधिया की मां और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी थीं। राजमाता सिंधिया ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी। लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले डीपी मिश्रा से खटास बढ़ने के बाद राजमाता ने कांग्रेस छोड़ दी थी। 1967 में जब प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार को गिरा कर गोविन्द नारायण सिंह की संविद सरकार बनी, तो राजमाता सिंधिया ने सबसे अहम भूमिका निभाई। बाद में राजमाता जनसंघ में शामिल हो गईं। वे भारतीय जनता पार्टी की सह-संस्थापक भी थीं।