कोरोना की दवा को लेकर रामदेव फिर विवाद में घिरे, WHO ने ख़ारिज किया कोरोनिल को प्रमाणित करने का दावा

शुक्रवार को रामदेव ने कोरोनिल को लॉन्च करते हुए दावा किया था कि उनकी दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रमाणित है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन की मौजूदगी में लॉन्च हुई थी दवा

Updated: Feb 22, 2021, 08:34 AM IST

Photo Courtesy: NBT
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नई दिल्ली। बाबा रामदेव कंपनी पतंजलि की बनाई कोरोना की दवा कोरोनिल एक बार फिर से विवाद में घिर गई है। रामदेव ने शुक्रवार को यह दवा लॉन्च करते हुए दावा किया था कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रमाणित कर दिया है। लेकिन अब ये बात सामने आ रही है कि WHO ने रामदेव के इस दावे का खंडन कर दिया है। WHO का कहना है कि उसने किसी भी पारंपरिक दवा को कोविड-19 के इलाज के लिए प्रमाणित नहीं किया है। रामदेव ने कोरोनिल को लॉन्च करते समय WHO से प्रमाणित होने का दावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन की मौजूदगी में किया था। इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी रामदेव उस कार्यक्रम में मौजूद थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया के रीजनल ऑफिस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से बाकायदा ट्वीट करके रामदेव और पतंजलि के दावों का खंडन किया है। संगठन ने ट्विटर पर लिखा है, "WHO ने कोविड 19 के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की प्रभावकारिता की न तो समीक्षा की है और न ही ऐसी किसी दवा को प्रमाणित किया है।"

 

 

WHO की तरफ से यह बयान सामने आने के बाद से रामदेव एक बार फिर से चौतरफा निशाने पर हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी स्पष्टीकरण देने को कहा है। कांग्रेस नेता ने ट्विटर पर लिखा है, 'रामदेव का एक और झूठ सामने आया। डॉ हर्षवर्धन जी आप से यह उम्मीद नहीं थी। कृपया केंद्र सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।' 

शिवसेना ने भी इस मामले पर रामदेव को घेरा है और देश के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है, 'मुझे उम्मीद है कि हमारे स्वास्थ्य मंत्री कोरोनिल को प्रमोट करने के लिए ऐसे दावे करके देश को शर्मिंदा करना बंद करेंगे। मुझे आयुर्वेद में गहरा विश्वास है, लेकिन यह दावा करना कि यह कोविड का WHO द्वारा प्रमाणित और गारंटी प्राप्त उपचार है, कुछ और नहीं बल्कि धोखाधड़ी और देश को भ्रमित करने का प्रयास है।'

 

 

डब्ल्यूएचओ के खंडन के बाद अपने झूठ पर बवाल बढ़ता देखकर पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर सफाई दी है। बालकृष्ण ने ट्वीट किया है, ' इस बारे में फैले भ्रम को दूर करने के लिए हम साफ करना चाहते हैं कि कोरोनिल को WHO GMP की शर्तें पूरी करने वाला COPP  सर्टिफिकेट भारत सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने दिया है। यह बात बिलकुल साफ है कि WHO किसी भी दवा को मंजूर या नामंजूर नहीं करता। WHO सारी दुनिया के लोगों के लिए एक बेहतर और सेहतमंद भविष्य के निर्माण के लिए काम करता है।'

 

 

क्या है पूरा मामला

दरअसल, शुक्रवार को योग गुरु रामदेव की फॉर्मेसी ने एक बार फिर से कोरोना की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल लॉन्च की थी। दवा लॉन्च करते समय रामदेव ने दावा किया था कि उनकी दवा को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाज़ेशन (WHO) से GMP सर्टिफिकेशन मिला है। दवा को लॉन्च करने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पतंजलि की ओर से दावा किया गया कि उनकी यह दवा पूरी तरह से साक्ष्यों पर आधारित और डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित है। पतंजलि के इस दावे को भारतीय मीडिया में भी खूब प्रचार मिला। इस बात की जानकारी जब मीडिया के माध्यम से डब्ल्यूएचओ को मिली तो उन्होंने कंपनी का नाम लिए बिना ही ऐसी खबरों का खंडन किया। 

इससे पहले 23 जून 2020 को रामदेव ने 'कोरोनिल' को पहली बार लांच करते हुए भी इससे कोविड-19 को पूरी तरह ठीक करने का दावा किया था। इसके लांच होते ही देश में विवाद छिड़ गया। उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था। उस वक्त आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि 'कोरोनिल' को केवल शरीर की ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने' वाली बताकर बेच सकता है।

विवाद बढ़ने पर पतंजलि ने कोरोनिल को बीमारी का असर कम करने वाली दवा कहना शुरू कर दिया था। रामदेव ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि "मंत्रालय ने उनसे ‘कोविड का इलाज’ की जगह ‘कोविड प्रबंधन’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है।" लेकिन शु्क्रवार को कोरोनिल को एक बार फिर ऐसे दावे के साथ लॉन्च किया गया, जिस पर नए सिरे से विवाद खड़ा हो गया है।