दफ्तर दरबारी: बैठकों ने निकम्‍मा कर दिया, वर्ना अफसर थे बड़े काम के... 

MP में सरकार यदि इंवेट में व्‍यस्‍त हैं तो ब्‍यूरोक्रेसी इंवेट के क्रियान्‍वयन में। और इस बीच नीतिगत मामले, निर्णय व काम हाशिए पर चले गए हैं। दूसरी तरफ, जनप्रतिनिधि तो ठीक जनता भी कलेक्‍टरों के रवैये से परेशान हैं और मुर्दाबाद के नारे लगाने पर मजबूर हो रही है।

Updated: Oct 16, 2022, 05:16 AM IST

सीएम शिवराज  सिंह चौहान  की बैठक का चित्र
सीएम शिवराज सिंह चौहान की बैठक का चित्र

इनदिनों मध्‍य प्रदेश के अफसर चचा गालिब से माफी मांगते हुए यह कहते हुए अपना दुखड़ा व्‍यक्‍त कर रहे हैं कि ‘बैठक’ ने हमें निकम्‍मा कर दिया, वर्ना हम भी अफसर थे बड़े काम के...। ऐसा इसलिए क्‍योंकि सरकार मिशन 2023 के लिए पूरी तरह एक्टिव है और हर हाल में रिजल्‍ट पाने की ख्‍वाहिश में आयोजनों व बैठकों का दौर जारी है। 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह चुनावी मूड में हैं। वे मंच से ही अफसरों को चेता रहे हैं. वे कह रहे हैं कि मामा खतरनाक मूड में हैं। जो काम नहीं करेगा, चलता कर दिया जाएगा। टारगेट दिए जा रहे हैं। रिजल्‍ट जानने के लिए रोज सुबह समीक्षा बैठक कर रहे हैं। सीएम चौहान सुबह किसी भी जिले के कलेक्‍टर से बात करते हैं, उस जिले के कामकाज की समीक्षा करते हुए विभिन्‍न विभागों के अफसरों से सीधी बात करते हैं। काम न होने पर फटकार पड़ती है। शिवराज के तेवर देख मैदानी कर्मचारी माफी मांगते देखे गए हैं। 

सीएम शिवराज सिंह चौहान को सक्रिय देख सीएस सहित अन्‍य विभाग प्रमुखों ने भी बैठकों की संख्‍या बढ़ा दी है। अब अफसरों की परेशानी यह है कि उन्हें पता नहीं होता है कि सुबह सीएम किस जिले की समीक्षा करेंगे। सभी अफसर सुबह अलर्ट मोड में होते हैं कि कब ऑन लाइन बैठक में बुला लिया जाए। दूसरी तरफ, मंत्रालय में हमेशा बैठकों का दौर जारी रहता है। कभी समीक्षा बैठक, कभी योजना बैठक। ये बैठक घंटों चलती हैं। अफसर एक बैठक के बाद दूसरी बैठक की तैयारी करते हैं, एक आयोजन के बाद दूसरे आयोजन में जुट जाते हैं। सरकार यदि इंवेट में व्‍यस्‍त हैं तो ब्‍यूरोक्रेसी इंवेट के क्रियान्‍वयन में। और इस बीच नीतिगत मामले, निर्णय व काम हाशिए पर चले गए हैं। 

उज्‍जैन जैसा आयोजन करने को बेताब कलेक्‍टर 

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद सरकार हैप्‍पी मोड में है। उज्‍जैन के कलेक्‍टर के काम की प्रशंसा हो रही है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिकायत मिलने पर बीते दिनों झाबुआ के कलेक्‍टर को तुरंत हटा दिया था। तब से कई जिलों के कलेक्‍टर निशाने पर हैं। ऐसे में उज्‍जैन कलेक्‍टर की सफलता एक अवसर के रूप में देखी जा रही है। 

असल में, जिला अधिकारियों को एक सूत्र मिल गया है कि सरकार को खुश करना है तो धार्मिक आयोजन की योजना बना लो। ज्‍यादा भव्‍य आयोजन हुआ तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को आमंत्रित किया जा सकता है, अन्‍यथा मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जिले में आगमन हो ही जाएगा। 

इस सूत्र को समझ कर धार्मिक स्‍थलों, खासकर नर्मदा प्रवाह वाले जिलों में कलेक्‍टर अतिरिक्‍त रूप से सक्रिय हो गए हैं। वे धार्मिक आयोजनों की योजनाएं भोपाल भेज रहे हैं ताकि उनके हिस्‍से में भी उज्‍जैन जैसी सफलता मिले। सरकार प्रसन्‍न होगी तो चुनाव के पहले मनचाही पोस्टिंग की प्रसाद उनके हिस्‍से आ ही जाएगी। 

कलेक्‍टर मुर्दाबाद के नारे लगाने का मजबूर 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही अफसरों को कह रहे हों कि मामा खतरनाक मूड में है और काम नहीं करने पर सख्‍ती दिखा रहे हों मगर हकीकत यह है कि अफसर किसी की सुन नहीं रहे हैं। न विधायकों की न जनता की। 

बीजेपी विधायक तो कई बार यह शिकायत कर चुके हैं। आपको याद होगा साल भर पहले चंदला विधायक राजेश प्रजापति को तत्‍कालीन कलेक्‍टर के रवैये से नाराज हो कर कलेक्‍टर बंगले पर देने पर मजबूर होना पड़ता था। अपनी ही सरकार में ऐसी फजीहत पर नेता राजनीतिक कारणों से चुप रह जाते हैं।  

मगर, विधायक रामबाई परिहार जनता के काम न होने पर अपने आक्रोश पर काबू नहीं रख पाई थी। कलेक्‍टर के काम से नाराज हो कर बिफरी बीएसपी विधायक रामबाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। जनप्रतिनि‍धियों के ये हाल हैं तो जनता की पीड़ा समझी जा सकती है। 
श्‍योपुर में अफसर से परेशान जनता प्रदर्शन पर मजबूर हुई। जन सुनवाई के ईचना खेड़ली गांव से आए 50 ग्रामीणों ने सुनवाई न होने पर कलेक्टर मुर्दाबाद के नारे लगाए। ग्रामीणों का आक्रोश यह था कि वे लगातार पांच बार से जनसुनवाई में आ रहे हैं परंतु उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

उन्होंने मीडिया से कहा कि हाथ जोड़कर 2 घंटे तक इंतजार करते रहे। कलेक्टर ऑफिस में खड़े रहे परंतु कलेक्टर साहब मिलने नहीं आए। इस बात से परेशान होकर मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने ना तो अभद्रता की है और ना ही किसी भी प्रकार का अपराध किया है। हम हंगामा करने नहीं निवेदन करने आए थे। अपनी समस्या का स्थाई समाधान चाहती हैं। यह एक जिले का उदाहरण है, कमाबेश ऐसी स्थिति हर जिले में है। 

धनतेरस के पहले ‘एक्‍शन’, बिल्‍डरों के बढ़ जाएंगे फेरे 

कोरोना काल के बाद बिजनेस में बूम की उम्‍मीद कर रहे बिल्‍डर, प्रॉपर्टी डिलर और कॉलोनाइजर्स के लिए धनतेरस के पहले ‘अमावस्‍या’ आ गई है। सरकार ने अवैध कॉलोनियों पर सख्‍ती बहुत पहले दिखाने को कहा था लेकिन अफसरों ने अब 7000 से ज्‍यादा अवैध कॉलोनियों को बनाने वाले बिल्‍डरों पर एफआईआर के निर्देश दिए हैं। 

ऐन दिवाली के पहले दिए गए इस निर्देश से बिल्‍डर्स और कॉलोनाइजर्स में हड़कंप हैं। सरकार की नजर इन अवैध कॉलोनियों के निवासियों के वोट पर है। जबकि अफसरों के लिए त्‍योहारी मौसम को भूनाने का अवसर। जैसी सरकार से आदेश हुए अफसर तुरंत सक्रिय हुए। 

रतलाम में तो कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी अचानक नगर एवं ग्राम निवेश (टीएनसीपी) ऑफिस पहुंच गए। उन्होंने कार्यालय में अलग-अलग स्थानों पर पड़ी फाइलों को टटोला और 4 बस्तों में कॉलोनियों से जुड़ी 50 से ज्‍यादा फाइल अपने साथ लेकर चले गए। 

जाहिर है, अब बिल्‍डर और कॉलोनाइजर कलेक्‍टर कार्यालय के चक्‍कर काटेंगे। अवैध कॉलोनियों को वैध करने की तैयारी बरसों से चल रही है मगर त्‍योहार के समय ‘एक्‍शन’ की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। बूम की उम्‍मीद कर रहे प्रॉपर्टी सेक्‍टर को अपने यहां रोशनी के लिए पहले कहीं और दीये जलाने होंगे।