दफ्तर दरबारी: सीएम का कहा सच हुआ, पटवारी कलेक्टर के बाप

MP News: मध्‍य प्रदेश में राजस्‍व विभाग के हाल बयान करे हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले दिनों कहा है कि पटवारी तो कलेक्टर के बाप होते हैं। मुख्‍यमंत्री मोहन यादव का यह कहना पटवारी की ताकत बतलाता है। मुख्‍यमंत्री यादव ने यह बात भले ही कटाक्ष और पीड़ा में कही हो लेकिन लगता है कि रतलाम के पटवारी यह बात सही साबित कर रहे हैं।

Updated: Apr 13, 2024, 06:18 PM IST

मुख्‍यमंत्री मोहन यादव
मुख्‍यमंत्री मोहन यादव

अनुभव कहता है कि पटवारी गांव के कलेक्टर होते हैं। पटवारी जैसा चाहता है गांव का राजस्व प्रशासन चलाता है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक कदम आगे जाते हुए जमीनों के नामांतरण के मामले पर पटवारी तो कलेक्टर के बाप होते हैं। रतलाम के पटवारी यह बात सही साबित कर रहे हैं।
मामला किसानों की फसल और उनके आर्थिक हितों से जुड़ा है। ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की है कि उनके क्षेत्र में पटवारी उद्यानिकी के खेत में कृषि की फसलें बता देते हैं। जैसे, राजस्व रिकार्ड में जिस जमीन पर अमरूद के पेड़ लगे हैं वहां अगली फसल के सीजन में सोयाबीन और अगले साल चना लगाना बता दिया गया है। किसान परेशान हैं कि कागजों में कभी उनकी जमीन सिंचित बताई जाती है तो कभी असिंचित।

यह पीड़ा रुनीजा के आसपास के गांवों के किसानों की है। ये वे किसान हैं जिनके खेतों से नौगांव–मोरवनी रेल लाइन बिछाई जानी है। किसानों का दर्द इस लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर भी है। इस क्षेत्र के किसान कुछ वर्षों से बागवानी की फसल अमरूद, अनार, अंगूर, एप्पल बेर आदि का उत्पादन कर रहे हैं। बागवानी में अमरूद आदि के पेड़ एक बात लगाने होते हैं। जबकि कृषि की फसल जैसे चना, सोयाबीन, गेहूं आदि की उपज मौसम के अनुसार होती है। जब कोई जमीन अधिग्रहित की जाती है तो बागवानी की खेती का ज्यादा मुआवजा मिलता है क्योंकि पेड़ नष्ट होते हैं। ऐसे पौधों को बड़ा करने में समय भी लगता है। कृषि भूमि का मुआवजा कम होता है क्योंकि फसल के बाद जमीन खाली हो जाती है।

किसानों का दर्द यह है कि जब राजस्व दस्तावेज में अमरूद की जगह चना–सोयाबीन लिखा होगा तो उन्हें अधिग्रहण पर जमीन का मुआवजा मिलेगा। बागवानी की फसल या पेड़ का नहीं। इस तरह पटवारी द्वारा गलत जानकारी दर्ज कर लेने से किसानों का बड़ा नुकसान होगा। अब किसान कलेक्टर से गुहार लगा रहे हैं कि वे ही उन्हें पटवारी की इस मनमानी इंट्री से राहत दिलवाएं।

चुनावी समर में पाराशर का असर

बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी जीत का लक्ष्‍य तय का चुकी है। इस तय लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए पार्टी के साथ उम्‍मीदवार भी पूरी ताकत से लगे हैं। पिछला चुनाव हार चुके केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को पिछले दिनों पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा से सलाह मिली थी कि अति आत्‍मविश्‍वास में नहीं रहना चाहिए। अति आत्‍मविश्‍वास के कारण हार का सामना हो जाता है। 

ऐसी नसीहतों के बीच केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने खुद का फैसला बदल कर अपने पुराने निज सचिव पुरूषोत्‍तम पाराशर को फिर से नियुक्‍त कर दिया है। ये वही पुरूषोत्‍तम पाराशर हैं जिन्‍हें जनवरी 2023 में कार्यमुक्‍त किया गया था। 

राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय सभी लोग केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के निज सचिव पुरूषोत्‍तम पाराशर की हैसियत से वाकिफ हैं। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया चाहे कांग्रेस में रहें या बीजेपी में, पुरूषोत्‍तम पाराशर का कद कभी कम नहीं हुआ। 15 साल निज सचिव रहने के दौरान वे सिंधिया का साया बन गए थे। सिंधिया से मुलाकात करने के पहले पुरूषोत्‍तम पाराशर से मुलाकात या कहिए अनुमति जरूरी होती थी। 

फिर जनवरी 2023 आई जब यकायक पुरूषोत्‍तम पाराशर को कार्यमुक्‍त कर दिया। यह सभी को लिए चौंकाने वाला था। कहा गया कि कई शिकायतों के बाद पुरूषोत्‍तम पाराशर को हटाया गया है। अब उनकी वापसी पर माना जा रहा है, कि चुनाव प्रबंधन में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को अपने प्रिय निज सचिव की कमी खल रही थीं। और जब चुनाव हर हाल में जीतने की बारी आई तो उन्‍होंने अपने निर्णय को किनारे कर उस विश्‍वस्‍त को जिम्‍मेदारी दे दी जो चुनाव प्रबंधन में माहिर माना जाता है। 

कलेक्‍टर का काटा 

भिंड के कलेक्टर आईएएस संजीव सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगा कर चुनाव आयोग में शिकायत की है। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा चुनाव के पहले भी शिकायत कर कहा था कि भिंड में आईएएस संजीव श्रीवास्तव के कलेक्टर रहते लहार विधानसभा में निष्पक्ष काउंटिंग नहीं हो पाएगी। वे भाजपा का एजेंट बनकर काम कर रहे हैं। उनकी आशंका सही थी या गलत यह अलग बात है लेकिन वे चुनाव हारे जरूर।

डॉ. गोविंद सिंह को शिकायती थी कि भिंड कलेक्टर ने साजिश करते हुए जानबूझकर लहार विधानसभा में अधिकारी कर्मचारियों को वोटिंग से वंचित रखा। कलेक्टर ने डाक मत पत्रों को कोषालय में जमा भी नहीं कराया गया। इतना ही मतदान दिवस पर कलेक्टर के आदेश पर मतदाताओं को प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग वोट नहीं कर पाए। कांग्रेस एजेंट्स को कलेक्टर ने मतदान केंद्र के बाहर बैठाए रखा और फर्जी मतदान करवाया गया।

कलेक्‍टर की कार्यप्रणाली को बतौर कांग्रेस प्रत्‍याशी अपनी हार का कारण मानने वाले डॉ. गोविंद सिंह ने अब लोकसभा चुनाव के पहले डॉ. गोविंद सिंह ने फिर आयोग को पत्र लिखा है। अपने पत्र में भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की शिकायत करते हुए डॉ. गोविंद सिंह ने कहा है कि कलेक्‍टर बीजेपी नेताओं के इशारों पर काम कर रहे हैं। उन्‍हें नहीं हटाया गया तो वे बीजेपी नेताओं से साठगांठ कर चुनाव प्रभावित कर सकते हैं। लहार के बीजेपी विधायक के इशारे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए जा रहे हैं। डॉ. गोविंद सिंह की शिकायत पर आयोग ने तब भी ध्‍यान नहीं दिया था और अब भी कोई तवज्‍जो नहीं दी है। 

गुस्‍सैल पीएस को सख्‍त संदेश, मगर हटेंगे क्‍या? 

पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पसंदीदा अफसर प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी अपने काम से ज्‍यादा विवादास्‍पद कार्यशैली और गुस्‍सैल स्‍वभाव के कारण जाने जाते हैं। बीते दिनों प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी ने एक बैठक में जेल विभाग के सचिव आईएएस ललित दाहिमा को फाइल पर टिप्‍पणी लिखने से रोका। प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी ने सचिव ललित दाहिमा को साइड लाइन करते हुए उप सचिव कमल नागर को प्राथमिकता दी और दाहिमा को बैठक से चले जाने के लिए कहा। दाहिमा ने अपने तर्क दिए तो नाराज प्रमुख सचिव खुद अपना कैबिने छोड़ कर बाहर आ गए। इस तरह विवाद कमरे से बाहर मंत्रालय के गलियारें, खबरों और मुख्‍य सचिव के पास शिकायत के रूप में पहुंच गया। 

अपने अधीनस्‍थों के साथ दुर्व्‍यवहार का यह इकलौता मामला नहीं है। प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी इसके पहले कई अफसरों के साथ बुरा व्‍यवहार का चुके थे लेकिन इस बार नौतब बहस और कमरे से बाहर आने तक आ गई। मामला मुख्‍यमंत्री तथा मुख्‍य सचिव तक पहुंचा। इस शिकायत के बाद मुख्‍य सचिव ने संवाद न करते हुए प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी तक नाराजगी का संकेत दिया है।

इधर, प्रभावित आईएएस सहित पीडि़त अफसरों को उम्‍मीद है कि सरकार अपने आश्‍वासन पर काम करेगी और चुनाव के बाद प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी को विभाग से हटा देगी। यूं भी मनीष रस्‍तोगी को मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव पद से हटा कर एक माह तक खाली रखा गया था। इस संकेत के बाद अब सरकार क्‍या संदेश देगी, यह जानने के लिए पीडि़त अफसर चुनाव खत्‍म होने का इंतजार कर रहे हैं।