Zohra Sehgal: अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली सदी की लाडली

Google Doodle: बैले सीखने वाली पहली इंडियन डांसर जोहरा सहगल को गूगल ने डूडल के जरिए किया याद, हिंदुस्तान की इजाडोरा डंकन भी कही जाती हैं जोहरा

Updated: Sep 29, 2020, 11:30 PM IST

Photo Courtesy: Patrika
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अपने हुनर के बल पर देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली वेटरन एक्ट्रेस और डांसर जोहरा सहगल को गूगल ने याद किया है। गूगल ने जोहरा के सम्मान में मंगलवार को डूडल बनाया है। 29 सितंबर 1946 में जोहरा की फिल्म 'नीचा नगर' रिलीज हुई थी। इस मौके पर गूगल ने उन्हें डूडल के जरिए याद किया है।

जोहरा सहगल जिंदादिल थीं। उन्हें ‘सौ बरस की बच्ची’ और ‘सदी की लाडली’ जैसे तमगों से उनके फैंस ने नवाजा था। अपनी शर्तों पर जीवन जीने वाली जोहरा का जन्म 27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताजुल्ला ख़ान था। जोहरा ने कामेश्वर सहगल से शादी की थी, जिसका पहले तो काफी विरोध हुआ, लेकिन बाद में परिवार ने स्वीकृति दे दी थी।

 परिवार के खिलाफ जाकर सीखा नृत्य

जोहरा की मां की इच्छा थी की बेटी कॉलेज में पढ़े। जोहरा ने साल 1929 में मैट्रिक करने के बाद 1933 में लाहौर के क्वीन्स मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी। जोहरा को बचपन से ही डांस का शौक था। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान जोहरा पर इजाडोरा डंकन के डांस का जादू सिर चढ़कर बोलने लगा था। उनका परिवार रुढ़िवादी सुन्नी मुस्लिम परिवार था, जो रामपुर के शाही घरानों में से एक था। परिवार में लड़की को नृत्य की इजाजत नहीं थी। लेकिन जोहरा ने परिवार की एक नहीं मानी, और अपने लिए नए रास्ते लताशती रहीं।

बैले सीखने वाली पहली भारतीय हैं जोहरा सहगल

जोहरा बैले डांस सीखने वाली पहली भारतीय महिला हैं। घर वालों के विरोध के बाद भी वे डांस के हुनर को तराशने जर्मनी चली गईं। साल 1935 में पंडित उदयशंकर की नृत्य मंडली में शामिल हो गईं। इसी मंडली के साथ उन्होंने जापान, सिंगापुर, रंगून और दुनियाभर के तमाम देशों में प्रस्तुतियां दीं। स्वदेश लौटने तक जोहरा सहगल बतौर कलाकार अपनी पहचान बना चुकी थीं।

पृथ्वीराज कपूर से लेकर अमिताभ बच्चन के साथ किया काम

1945 में ज़ोहरा सहगल पृथ्वी थिएटर से जुड़ीं।  उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के साथ करीब 15 साल तक काम किया, वे थिएटर में उन्हें अपना गुरु मानती थीं। 1946 में ख़्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में इप्टा के पहले फ़िल्म प्रोडक्शन धरती के लाल और फिर इप्टा के सहयोग से बनी चेतन आनंद की फ़िल्म 'नीचा नगर' में उन्होंने काम किया। नीचा नगर पहली ऐसी फ़िल्म थी जिसे अंतरराष्ट्रीय कांस फ़िल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला।

पृथ्वी थिएटर के साथ कई नाटकों में काम किया और कई हिंदी फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी भी की। मुंबई में ज़ोहरा ने इब्राहीम अल्काजी के फेमस प्ले दिन के अंधेरे में बेगम कुदसिया का किरदार निभाया था। उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्क्यू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया। 1964 में बीबीसी पर रुडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने के साथ ही 1976-77 में बीबीसी की सीरीज पड़ोसी नेबर्स की 26 कडि़यों में प्रस्तोता की भूमिका निभाई। जोहरा ने अपने करियर में कई पीढ़ी के कलाकारों के साथ काम किया, जिनमें पृथ्वीराज कपूर, अशोक कुमार, देव आनंद, गोविंदा, शाहरुख खान, सलमान खान, अमिताभ बच्चन और रणबीर कपूर शामिल हैं।

देश की आजादी की खबर पाकर रात भर नाचीं थीं जोहरा

भारत को आजादी मिलने की घटना से जोहरा सहगल की जिंदगी का एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा जुड़ा हुआ है। जब देश को आजादी मिलने की खबर मुंबई में फैली तो जोहरा सब भूलकर आजादी के जुलूस के साथ सारी रात नाची थीं। यही देखकर फिल्म निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास ने कहा था कि जोहरा सहगल हिंदुस्तान की इजाडोरा डंकन है। जोहरा ने फिल्मों में एक्टिंग भी की और फैंस का दिल जीता। भारतीय फिल्मों के साथ ही जोहरा ने ब्रिटेन के कई टेलीविजन सीरियलों में काम किया। अपने 80 साल के फिल्मी कैरियर उन्होने कई तरह के किरदार निभाए। 80 बरस तक जोहरा सहगल ने एक्टिंग और डांस किया। 

दादी की भूमिका में भी बटोरी सुर्खियां

जोहरा ने 1996 से बालीवुड में दादी मां की भूमिकाएं करना शुरू कर दिया था। जिसमें दिल से, हम दिल दे चुके सनम, वीर जारा, सांवरिया और चीनी कम, बेंड इट लाइक बेकहम, जैसी फिल्में शामिल हैं। 90 वर्ष की उम्र में उन्होंने साल 2002 में फिल्म चलो इश्क लड़ाएं में काम किया ज़ोहरा सहगल को 1998 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2010 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 102 साल की उमर में जब उन्होंने अंतिम सांस ली तब तक वे खुशदिल रहीं। 10 जुलाई 2014 को 102 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट की वजह से जोहरा का निधन हो गया।