Teacher's Day 2020: कोरोना काल में डटे हुए शिक्षकों को सलाम

Corona Effect: कोरोना काल में बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के शिक्षक, निस्वार्थ भाव से निभा रहे दायित्व

Updated: Sep 06, 2020, 02:59 AM IST

Photo Courtes : News 18
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कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखना किसी चुनौती से कम नहीं हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई स्कूलों के शिक्षकों ने सिद्ध किया है कि चिंता किसी समस्या का हल नहीं है। उन्होंने कोरोना की चिंता छोड़कर अपने विद्यार्थियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और निकल पड़े अपने कर्तव्य की राह पर

गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवन में माता-पिता की ही तरह शिक्षक का स्थान भी सर्वोपरी है। जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। लेकिन जीने का सलीका टीचर ही सीखाते हैं। वे इसांन को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। अभी कोरोना वायरस के कारण स्कूल नहीं लग रहे हैं ऐसे में शिक्षकों ने अपने-अपने तरीके के बच्चों की पढ़ाई का बीड़ा उठाया है वह भी बिना किसी दबाव या फीस के यह उनकी स्वेच्छा से किया जा रहा है।

मुंगेली की सृष्टि शर्मा ने दिया ‘घर-घर जाबो लइका ल पढ़ाबो’ का स्लोगन

छत्तीसगढ़ के मुंगेली की एक टीचर सृष्टि शर्मा ने बच्चों को पढ़ाने की एक नई पहल की है। उन्होने ‘घर-घर जाबो लइका ल पढ़ाबो’ का स्लोगन दिया है। इसके तहत वह एक स्थान पर कुछ बच्चों को एकत्रित करके सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ातीं हैं।  सृष्टि शर्मा ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि जिस मोहल्ले से बच्चों का फोन आता है, वहां जाकर बच्चों के ही आंगन, बरामदे या छत पर क्लास ले लेतीं हैं। सृष्टि बच्चों को पढ़ाती हैं, उनके डाउट्स क्लियर करती हैं। मुंगेली के इन मोहल्ला क्लासों में सभी स्कूलों के छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं।

सृष्टि अलग अलग जगहों पर 4-5 क्लास लेती हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवाने का ध्यान भी बखूबी रखती हैं। सृष्टि रोजाना करीब 50-60 बच्चों को पढ़ा रही हैं। सृष्टि की इस अनोखी कोशिश से सैकड़ो बच्चों को बेहतर शिक्षा निशुल्क मिल रही है। इनके इस प्रयास की सराहना की जा रही है। सृष्टि के इस प्रयास की तारीफ मुंगेली जिला शिक्षाधिकारी और कलेक्टर ने भी की है। 

 रायपुर में लाउड स्पीकर लेकर रिक्शे पर घूमती हैं टीचर

 रायपुर में कविता आचार्य लाउड स्पीकर से बच्चों को पढ़ाती हैं। सुनने में थोड़ा अजीब लगा है ना। लेकिन जैसे ही कविता मैडम पढ़ाना शुरु करती हैं अपने-अपने घर या छोटे-छोटे समूहों में बैठे बच्चे बड़े ध्यान से पढ़ाई करते हैं। कविता आचार्य अंग्रेजी और गणित पढ़ाती हैं। उनके स्कूल में 208 बच्चे पढ़ते हैं। यहां पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे आसपास के मोहल्ले के ही हैं, इसलिए कविता रिक्शे से सभी मोहल्लों में जाती हैं, और बाहर से ही बच्चों को पढ़ाती हैं।  और क्लास लेकर वापस लौट जाती हैं।

पहले ते कविता रिक्शा किराए पर लेकर, डीजे और लाउडस्पीकर का खर्च उठा रही थीं। फिर स्कूल के पासआउट बच्चों ने टीचर की मदद की। कुछ छात्रों ने डीजे, कुछ ने लाउडस्पीकर और कुछ ने रिक्शा देने में पेशकश की। कविता आचार्य का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही है। टीचर बच्चों को गणित के सवाल भी हल करवाती हैं और बच्चों की कॉपियां भी चेक करती हैं। कविता का कहना है कि उनके बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करने में परेशानी हो रही थी। जिसके बाद उनके मन में बच्चों के मोहल्ले में लाउड स्पीकर के जरिए पढ़ाने का आइडिया आया। कविता बच्चों के घर के बाहर जाकर लाउडस्पीकर पर लेसन दोहराती हैं, और बच्चे अपने घर से ही पढ़ाई करते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने कविता के जज्बे को सलाम किया है।

बैतूल में शिक्षक ने बच्चों को बांटे 16 रेडियो सेट

मध्यप्रदेश में ‘हमारा घर, हमारा विद्यालय’ कार्यक्रम का संचालन राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से संचालित किया जा रहा है। इसके तहत बच्चों को रेडियो के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। लेकिन बैतूल के चिचोली और पाटाखेडा इलाके में कई गरीब परिवारों के बच्चे संसाधन के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। उनके पास कोई साधन नहीं था, जिससे वो पढ़ाई चालू रख सकें। दरअसल बैतूल में कई इलाके हैं जहां गरीब वर्ग के बच्चों के पास संचार के साधन नहीं होने से उनकी पढ़ाई में परेशानी हो रही थी। तभी ऐसे जरूरतमंद बच्चों का पता लगाकर बच्चों को रेडियो सेट उपलब्ध कराने का काम मिडिल स्कूल टीचर ने किया।

राजू आठनेरे माध्यमिक शाला जामली में पदस्थ हैं। राजू आठनेरे ने अपने खर्चे पर गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए 5000 रुपये से 16 रेडियो सेट खरीदे। ये रेडियो सेट उन्होंने जनशिक्षा केन्द्र उत्कृष्ट चिचोली और जन शिक्षा केन्द्र पाटाखेडा में बांटे। राजू आठनेरे के इस प्रयास से इलाके के करीब 80 से 100 गरीब बच्चों को लाभ मिल रहा है। बच्चे राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रसारित रेडियो कार्यक्रम सुनकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह रेडियो स्कूल सोमवार से शनिवार तक आकाशवाणी के सभी केंद्रों से सुबह 11 बजे से 12 बजे तक और शाम 5 बजे से 5.30 बजे तक प्रसारित होते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से पहली से आठवीं क्लास तक के छात्रों को पढ़ाया जाता है।

राजू आठनेरे के प्रयास से उत्कृष्ट चिचोली और पाटाखेडा के सभी गरीब बच्चे पढ़ाई कर पा रहे हैं। रेडियो के अलावा राजू आठनेरे समय-समय पर बच्चों के घर जाते हैं। और बच्चों के कौशल उन्नयन और विषय की दक्षता की जानकारी लेते रहते हैं। कठिन विषयों को बच्चों को आसान करके समझाते हैं। चिचोली में सुविधाविहीन बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं होने के कारण डीजीलेप कार्यक्रम नहीं पहुंच पा रहा था। उनके पास केबल टीवी की सुविधा नहीं थी। ना ही कोई दूसरा डिजिटल साधन मौजूद था। उनके लिए मिडिल स्कूल टीचर का सतत प्रयास सराहनीय है।