दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री चनेश राम राठिया का निधन

Chanesh Ram Rathia dies: अविभाजित मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता चनेश राम राठिया का निधन, सीएम भूपेश बघेल ने कहा एक सच्चे जनसेवक के रूप में याद रहेंगे राठिया

Updated: Sep 15, 2020, 01:23 AM IST

रायपुर। कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता चनेश राम राठिया का निधन हो गया। उनके निधन से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में शोक की लहर दौड़ गई है। चनेश राम राठिया कई महीनों से बीमार थे। रविवार को उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। जिसके बाद उन्हे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां देर रात इलाज के दौरान उन्होंने अतिंम सांस ली। उन्हे प्रदेश की राजनीति का भीष्म पितामह कहा जाता था।

उनका निधन धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। वे स्वच्छ छवि के नेता थे। निष्पक्ष, निर्विवाद चनेश राम राठिया का विरोधी भी का लोहा मानते थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चनेश राम राठिया के निधन पर शोक व्यक्त किया है।  मुख्यमंत्री ने लिखा है कि ‘धरमजयगढ़ के साथ साथ समूचे प्रदेश में उन्हें एक सच्चे जनसेवक के रूप में सदैव याद किया जाएगा।‘

वे अविभाजित मध्यप्रदेश में आदिवासियों के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। चनेश राम राठिया धरमजयगढ़ विधानसभा से छह बार विधायक रहे हैं। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्री रह चुके हैं। उन्हें उनकी बेबाक टिप्पणी के लिए खासतौर पर जाना जाता था। वे मध्य प्रदेश सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। वहीं अजीत जोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में बनी सरकार में उन्होंने धर्मस्व मंत्री के रूप में कार्य किय था। वे धरमजयगढ़ से 6 बार जीते और विधायक बने। अब उनकी सीट से उनके बेटे लालजीत सिंह राठिया धमरजयगढ़ से विधायक हैं, और उन्हे कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त है।

आदिवासी नेता चनेश राम राठिया के सियासी करियर की शुरुआत सन 1975 में हुई थी। तब अविभाजित मध्यप्रदेश में खरसिया धरमजयगढ़ का विभाजन नहीं हुआ था। वे पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे। लेकिन तब जनता ने उन्हे नकार दिया था। उन्हे हार का स्वाद चखना पड़ा था। वहीं 1977 में आपातकाल के दौरान राठिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इसके बाद वे लगातार 2003 तक जीत हासिल करते रहे।