सुकमा में माओवादियों की गुप्त हथियार फैक्ट्री का भंडाफोड़, भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर सुकमा जिले में DRG जवानों ने नक्सलियों की गुप्त हथियार निर्माण फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। मौके से हथियार बनाने की मशीनें समेत कई हथियार भी बरामद किए गए।

Publish: Nov 04, 2025, 06:21 PM IST

बस्तर। छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले के घने जंगलों में सुरक्षाबलों ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सुकमा जिले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप की टीम ने एक गुप्त माओवादी हथियार निर्माण फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। इस फैक्ट्री से सुरक्षा बलों ने 17 देसी रायफलें, बीजीएल लांचर, भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार निर्माण की मशीनें और उपकरण बरामद किए हैं। यह फैक्ट्री माओवादियों द्वारा जंगल के बीच बेहद गोपनीय तरीके से चलाई जा रही थी। यहां से स्थानीय स्तर पर ग्रेनेड लांचर, देसी बंदूकें और बम जैसे घातक हथियार तैयार किए जा रहे थे।

ऑपरेशन के दौरान डीआरजी टीम जब घने जंगलों में इस ठिकाने तक पहुंची तो वहां कई हथियार अधूरे बने मिले। मौके से बरामद सामानों में बीजीएल लॉन्चर, 12 बोर रायफल, सिंगल शॉट राइफल, देसी कट्टा, गन बैरल, मशीन पार्ट्स, ड्रिल मशीन, ग्राइंडर, वेल्डिंग शील्ड और स्टील पाइप शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, यह स्पष्ट संकेत हैं कि यह फैक्ट्री लंबे समय से सक्रिय थी और माओवादी संगठन इसके माध्यम से छोटे पैमाने के युद्ध की तैयारी कर रहे थे।

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सुकमा पुलिस की सटीक रणनीति और खुफिया इनपुट ने नक्सलियों की इस खतरनाक साजिश को नाकाम कर दिया। सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि यह कार्रवाई नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ ऑपरेशन करना नहीं, बल्कि जंगलों में स्थायी शांति और विकास स्थापित करना है।” पुलिस की इस कार्रवाई से नक्सली नेटवर्क में हड़कंप मच गया है। डीआरजी की टीम द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल माओवादी गतिविधियों पर गहरा प्रहार है बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि अब सुरक्षा बल जंगल के हर कोने तक पहुंच बना चुके हैं।

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सुकमा पुलिस के आंकड़े भी इस सफलता की पुष्टि करते हैं। पिछले एक वर्ष में अब तक 545 माओवादी आत्मसमर्पण, 454 गिरफ्तारियां और 64 हार्डकोर नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। इन कार्रवाइयों ने नक्सली नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी है। जिन इलाकों में कभी बंदूकों की आवाज से दहशत फैली रहती थी वहां अब सड़कें, स्कूल और पुनर्वास केंद्र बन रहे हैं। एसपी किरण चव्हाण ने इस मौके पर माओवादियों से समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील भी की। उन्होंने कहा, “सरकार की नीति स्पष्ट है, जो हिंसा छोड़कर समाज में लौटना चाहता है। उसे पूरा सम्मान, सुरक्षा और पुनर्वास मिलेगा।” उन्होंने बताया कि शिक्षा, रोजगार और विकास योजनाओं के जरिए अब बस्तर को भयमुक्त और प्रगतिशील क्षेत्र में बदलने का अभियान जारी है।

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