देश के पहली बार मंदी में घिरने पर सरकार की मुहर, दूसरी तिमाही में -7.5 रही विकास दर

GDP विकास दर लगातार दूसरी तिमाही में निगेटिव रहने का सीधा मतलब है कि देश मंदी में घिर चुका है, अप्रैल-जून की तिमाही में GDP करीब 24 फीसदी गिरी थी

Updated: Nov 28, 2020, 01:13 AM IST

Photo Courtesy : Trak.in
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नई दिल्ली। देश एक भयानक मंदी में घिर चुका है, ये सच अब भारत सरकार के आँकड़ों भी चीख-चीख कर बोल रहे हैं। आज देश की जीडीपी विकास दर के जो ताज़ा आँकड़े आए हैं, उनके मुताबिक़ वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी यानी जुलाई से सितंबर की तिमाही में जीडीपी ग्रोथ माइनस 7.5 फीसदी रही है। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सितंबर में ख़त्म तिमाही में जीडीपी में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के तीन महीनों के दौरान देश की जीडीपी में क़रीब 24 फीसदी की भारी गिरावट देखी जा चुकी है। लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ रहने का मतलब है कि देश में तकनीकी तौर पर मंदी आ चुकी है। इसीलिए हम कह रहे हैं कि आज जारी आंकड़ों के साथ ही सरकार ने आधिकारिक तौर पर मान लिया है कि देश मंदी के दौर से गुज़र रहा है।

हालांकि सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइज़र अब भी ऐसी बातें कर रहे हैं, जो सुनने में भले ही अच्छी लगें, लेकिन उनमें कोई दम नहीं है। वे कह रहे हैं कि हमारी इकॉनमी बेहतर कर रही है। वे यह भी दावा कर रहे हैं कि कोरोना से पहले देश की इकॉनमी ने बेहतर प्रदर्शन किया था, कोरोना की वजह से इकॉनमी में सुस्ती आई। जबकि हक़ीक़त ये है कि कोरोना के पहले भी भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट की तरफ़ ही जा रही थी।

रिजर्व बैंक ने सितंबर तिमाही में जीडीपी में 8.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। केयर रेटिंग्स ने सितंबर तिमाही में जीडीपी में 9.9 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। कोर सेक्टर की बात करें तो अक्टूबर में ग्रोथ माइनस 2.5 फीसदी रही, जो सितंबर के 0.8% के मुकाबले कम है। कोयला, कच्‍चा तेल, उर्वरक, स्‍टील, पेट्रो रिफाइनिंग, बिजली और नेचुरल गैस उद्योगों को किसी अर्थव्‍यवस्‍था की बुनियाद माना जाता है। यही आठ क्षेत्र कोर सेक्‍टर कहे जाते हैं। इनमें भी ग्रोथ रेट निगेटिव रहने का मतलब है कि इकॉनमी में मंदी का असर काफ़ी गहरा है।

अर्थव्यवस्था में मान्य परिभाषा के मुताबिक अगर किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाही निगेटिव रहती है, यानी ग्रोथ की बजाय उसमें गिरावट आती है तो इसे मंदी मान लिया जाता है। इस लिहाज़ से आज जारी आँकड़े इस आशंका पर मुहर लगा रहे हैं कि हमारा देश एक भयानक आर्थिक मंदी में फंस चुका है।