Per Capita Income: बांग्लादेश से भी पिछड़ रहा भारत, आम जनता की घटी कमाई
IMF Report on India GDP: दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनना तो दूर, दक्षिण एशिया का तीसरा सबसे गरीब देश बनने की तरफ भारत

जो मोदी सरकार भारत को पाँच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने का दम भरते नहीं थकती, उसके राज में भारत दक्षिण एशिया के सबसे गरीब देशों की सूची में शामिल होने जा रहा है। यह हम नहीं कह रहे, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का ताज़ा अनुमान बता रहा है। आईएमएफ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत प्रति व्यक्ति आय के लिहाज़ से बांग्लादेश से भी गरीब होने जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय 10.5 फ़ीसदी घटकर 1877 डॉलर रह जाएगी, जबकि इसी दौरान बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय ४ फ़ीसदी बढ़कर १८८८ डॉलर हो जाएगी।
इतना ही नहीं, आय में दर्ज की गई इस गिरावट के बाद भारत दक्षिण एशिया का तीसरा सबसे गरीब देश बन जाएगा। सिर्फ़ पाकिस्तान और नेपाल ही ऐसे देश होंगे जिनकी प्रति व्यक्ति आय भारत से कम होगी। बाक़ी सभी दक्षिण एशियाई देश, मसलन बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और मालदीव प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत से ज़्यादा संपन्न होंगे।
दरअसल, पांच साल पहले तक भारत की प्रति व्यक्ति आय बांग्लादेश की तुलना में 40 फ़ीसदी ज़्यादा थी। लेकिन पिछले पांच साल में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 9.1 फ़ीसदी की कंपाउंड यानी चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है। जबकि इसी दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की रफ़्तार महज़ 3.2 फ़ीसदी रही है। यही वजह है कि देश की आम जनता की औसत कमाई के मामले में भारत अब बांग्लादेश से भी पिछड़ रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पिछले पांच सालो के दौरान बांग्लादेश के न सिर्फ़ एक्सपोर्ट में लगातार अच्छी वृद्धि हुई है, बल्कि उसकी घरेलू बचत और निवेश की दर भी काफ़ी बढ़िया रही है। जबकि भारत का एक्सपोर्ट ठहराव का शिकार है। बचत और निवेश में गिरावट आई है। यानी तीनों ही मामलों में बांग्लादेश का प्रदर्शन भारत से बेहतर रहा है।
दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो कोरोना संकट के दौरान भारत के अलावा सिर्फ़ श्रीलंका ही ऐसा है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय इस साल क़रीब 4 फ़ीसदी घटती नज़र आ रही है। भूटान और नेपाल की इकॉनमी इस साल बेहतरी की ओर है, जबकि पाकिस्तान के आंकड़े आईएमएफ़ ने अब तक जारी नहीं किए हैं।
इन आंकड़ों से साफ़ ज़ाहिर है कि मोदी सरकार देश को तरक़्क़ी के रास्ते पर तेज़ी से आगे ले जाने के भले ही कितने भी दावे करती रहे, हकीकत उन दावों से बिलकुल उलट है। हो सकता है