2016 से नहीं चल रही अडानी ग्रुप की कंपनियों की जांच, सुप्रीम कोर्ट में बोली SEBI

अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। सेबी ने कहा कि साल 2016 से अडानी समूह की जांच के सभी दावे तथ्यात्मक रूप से निराधार है।

Updated: May 15, 2023, 05:13 PM IST

नई दिल्ली। अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सेबी (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि साल 2016 से अडानी समूह की जांच के सभी दावे तथ्यात्मक रूप से निराधार है। सेबी ने अडानी समूह के क्रिया-कलाप को लेकर तमाम तरीकों से सफाई दी। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में कहा कि साल 2016 से अडानी समूह की जांच के तमाम दावे गलत हैं। 

सेबी के मुताबिक जिन 51 कंपनियों की जांच की गई, उसमें अडानी समूह की कोई भी लिस्टेड कंपनी नहीं है। इस मामले में सफाई देते हुए सेबी ने कहा कि साल 2016 से अब तक 51 कंपनियों की जांच की गई। ये जांच इन लिस्टेड कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीदें जारी करने से संबंधित हैं। इस जांच में अडानी की कोई भी लिस्टेड कंपनी शामिल नहीं थी। ऐसे में अडानी समूह की किसी भी कंपनी के खिलाफ जांच लंबित होने की बात करना आधारहीन है।

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सेबी ने न्यायालय से कहा कि 11 विदेशी नियामकों से पहले ही संपर्क किया जा चुका है। जिससे ये पता लगाया जा सके कि क्या अडानी समूह ने अपने पब्लिकली अवेलेबल शेयरों के संबंध में किसी भी मानदंड का उल्लंघन किया है। सेबी की ओर से अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए 6 महीने के समय मांगी गई है। सेबी ने तर्क दिया कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर जो आरोप लगाए हैं, जिन 12 संदिग्ध ट्रांजैक्शन की बात कही है, वो सीधे-सपाट नहीं है। मामला काफी जटिल है। इनसे जुड़े लेन-देन दुनिया के कई देशों में स्थित फर्म्स से संबंधित है।

सुप्रीम कोर्ट में सेबी के इस खुलासे के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर कठघरे में है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा को बताया था कि सेबी द्वारा अडानी समूह की जांच किया जा रहा है। लेकिन अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अडानी पर लगे किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं कर रहे हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि केंद्र सरकार द्वारा साल 2021 में संसद को गुमराह किया। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, 'संसद को गुमराह करना ज्यादा बुरा है या फिर शेल कंपनियों का उपयोग करके मनी-लॉन्ड्रिंग और राउंड-ट्रिपिंग के द्वारा लाखों निवेशकों को ठगे जाने के कारण गहरी नींद में सो जाना? क्या ऊपर से कोई रोकने वाला हाथ था?'

बीते 24 जनवरी को Hindenburg ने अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेर-फेर और कर्ज से जुड़े 88 सवाल उठाते हुए अपनी रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसके जारी होने के अगले कारोबारी दिन से ही अडानी की कंपनियों के शेयर धराशायी हो गए थे और दो महीने तक इनमें लगातार गिरावट देखने को मिली थी। अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर 80 फीसदी से अधिक टूट गए थे। 24 जनवरी से पहले दुनिया के टॉप अरबपतियों में चौथे पायदान पर मौजूद गौतम अडानी की नेटवर्थ में गिरावट से लिस्ट में खिसककर देखते ही देखते टॉप 100 से बाहर पहुंच गए थे। इस बीच गौतम अडानी की नेटवर्थ में 60 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली थी। इस पूरे मामले में विपक्ष लगातार जेपीसी जांच कराने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने अडानी समूह के खिलाफ कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया।