पूर्वोत्तर में मेगा डैम प्रोजेक्ट पर टकराव, अरुणाचल के सियांग में ग्रामीणों ने शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना

ग्रामीण इस परियोजना में शामिल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के जवानों को हटाने और ड्रिलिंग मशीनों को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं।

Updated: May 25, 2025, 12:41 PM IST

सियांग। अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के बेगिंग गांव में ग्रामीणों ने एक मेगा डैम परियोजना के खिलाफ जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। 23 मई से गांव के लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। वे इस परियोजना में शामिल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के जवानों को हटाने और ड्रिलिंग मशीनों को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन और नदी के लिए जान दे देंगे लेकिन इस डैम को नहीं बनने देंगे।

यह डैम परियोजना ‘सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना’ (Siyang Upper Multipurpose Project) के नाम से जानी जा रही है, जिसे एनएचपीसी (NHPC) द्वारा बनाया जाना है। इसका पहला चरण फिलहाल सर्वे और परीक्षण का है, लेकिन ग्रामीणों ने शुरुआत से ही इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि यह डैम बनने से कम से कम 27 गांवों के लोग विस्थापित हो जाएंगे, जिनकी जमीन, घर और खेत सब कुछ डूब जाएंगे।

स्थानीय लोगों को डर है कि यह इलाका भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है और इस तरह का विशाल डैम पर्यावरण और लोगों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कभी इस परियोजना के लिए सहमति नहीं दी और अब जबरन इसे थोपा जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि सरकार बिना ग्राम सभाओं की इजाजत के इस तरह की परियोजनाएं लागू नहीं कर सकती।

दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनाए जा रहे विशाल डैम के जवाब में भारत को भी सियांग नदी पर नियंत्रण रखने के लिए यह डैम बनाना जरूरी है। इसके जरिए बाढ़ नियंत्रण में मदद मिलेगी और भविष्य की जल समस्याओं से भी निपटा जा सकेगा। सरकार इस परियोजना को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देख रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह उनके जीवन और पहचान का सवाल है। 

ग्रामीणों ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं जिनमें तीन दिनों के भीतर CAPF के जवानों की वापसी, चार दिनों में ड्रिलिंग मशीनें हटाना और जब तक स्थानीय लोगों की सहमति न हो, तब तक कोई भी काम न किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो उनका विरोध और भी तेज होगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही नॉर्थ ईस्ट को भारत का ‘गेटवे ऑफ ट्रेड’ बताया था, लेकिन सियांग के ग्रामीणों का सवाल है कि क्या व्यापार का रास्ता उनके जीवन की कीमत पर निकलेगा?